पाकिस्तान जो दुनिया के सबसे बड़े कपास उत्पादक देशों में शामिल है, वहां पर अब जरूरत को पूरा करने के लिए कॉटन नहीं है। जी हां देश में यह इतनी बड़ी समस्या बन गई है जो इस देश को पूरी तरह से कंगाल करने के लिए काफी है। पहले से ही जो अर्थव्यवस्था लड़खड़ाई हुई है अब उसके पूरी तरह से ध्वस्त होने के आसार नजर आने लगे हैं।
देश पर कई बिलियन डॉलर का कर्ज
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक कई सालों तक खराब मौसम, कीटनाशकों का अति प्रयोग और दूसरी फसलों ने देश में कॉटन की मात्रा और इसकी गुणवत्ता को खासा प्रभावित किया है। अब इसकी वजह से नुकसान का स्तर बढ़ता जा रहा है। हालत ये है कि अब वर्तमान वित्त वर्ष के पूरी तरह से लड़खड़ाने की आशंका है। ब्लूमबर्ग के मुताबिक पाकिस्तान में कॉटन उत्पादन तीन दशकों में सबसे निचले स्तर पर पहुंच चुका है। इसका नतीजा है कि अब देश पर बिलियन डॉलर का कर्ज चढ़ चुका है क्योंकि टेक्सटाइल इंडस्ट्री को जिंदा रखने के लिए कपास को आयात करना पड़ गया है। सिर्फ इतना ही नहीं कपास की कीमतें भी सात साल के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गई है।
किसानों की आय का सबसे बड़ा स्त्रोत
पाकिस्तान के लिए कपास की खेती किसानों की आय का सबसे बड़ा जरिया है। इसे पाक के किसान ‘व्हाइट गोल्ड’ के तौर पर बुलाते हैं। साथ ही 1.5 मिलियन किसानों की आय इस पर हर निर्भर करती है। कपास यहां की टेक्सटाइल इंडस्ट्री को कच्चा माल उपलब्ध कराती है। इसके अलावा इस खेती की वजह से देश के 40 फीसदी लोगों को रोजगार मिला हुआ है। इसके अलावा ये खेती देश के विदेशी मुद्रा भंडार में भी बड़ा योगदान करती है।
कपास का उत्पादन कम हुआ है तो वहीं पिछले 3 वर्षों में देश के 60 फीसदी से ज्यादा फैक्ट्री मालिकों ने अपनी फैक्ट्रियों को बंद कर दिया है। हजारों लाखों किसान और टेक्सटाइल वर्कर्स बेरोजगार हो चुके हैं पाकिस्तान कॉटन गिनर्स एसोसिएशन के चेयरमैन जासू मल ने इस बात की जानकारी दी है। ये एसोसिएशन देश की 1300 कॉटन मिलों का प्रतिनिधित्व करती है।
सरकार की वजह से बढ़ी कालाबाजारी
पिछले दिनों पाकिस्तान अपैरल फोरम के चेयरमैन जावेद बिलवानी ने कहा है कि सरकार ने अपनी आंखें बंद कर ली हैं। वो कॉटन यार्न की कालाबाजारी की तरफ ध्यान ही नहीं दे रही है। उनका कहना है कि सरकार प्राइस कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ऑफ प्रॉफिटेरियंग एंड होर्डिंग एक्ट 1977 और कम्पटीशन एक्ट ऑफ पाकिस्तान 2010 के तहत कालाबाजारी की समस्या से निबट सकती है।
पूरे देश में इस समय शक्कर की स्कैंडल चल रहा है लेकिन कॉटन यार्न के संकट पर सरकार की चुप्पी हर ट्रेडर को हैरान करने वाली है। बिलवानी ने कहा है कि टेक्सटाइल सेक्टर देश की अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान देता है। उन्होंने बताया कि निर्यात न होने की वजह से करीब 1980 अरब का सामान बर्बाद हो गया है। लेकिन सरकार इस पूरे नुकसान पर खामोश है और इसे समझ पाना बहुत मुश्किल है।
भारत से कपास आयात को मानने से इनकार
पाकिस्तान होजरी मैन्युफैक्चरर्स एंड एक्सपोर्ट एसोसिएशन के चेयरमैन तारिक मुनीर ने कहा कि ऐसा लगता है कि अब सरकार ने कपास उद्योग में कालाबाजारी और एकछत्र राज्य के लिए कुछ खास व्यापारियों को पूरी तरह से आजादी दे दी है। व्यापारियों ने कहा है कि सरकार में शामिल कुछ लोग प्रधानमंत्री इमरान खान की नीतियों से अलग काम कर रहे हैं। ये लोग निर्यात को प्रभावित कर विदेशी मुद्रा भंडार को नुकसान पहुंचा सकते हैं। पाकिस्तान की इकोनॉमिक को-ऑर्डिनेशन कमेटी (ईसीसी) की तरफ से भारत से कपास के आयात का प्रस्ताव दिया था। लेकिन इमरान सरकार की कैबिनेट इस प्रस्ताव को मानने से साफ इनकार कर दिया था।