विशेष संवाददाता

कोरोना वारयस का प्रकोप शुरू होने के बाद से ही यह चर्चा शुरू हो गयी थी कि यह चीन की एक लैब में बनाया गया था। लेकिन इस विषय पर अनुसंधान कर रहे कुछ शोघकर्ताओं ने दावा किया है कि कोरोना वायरस के लैब में बनाये जाने का कोई प्रमाण नहीं है। ‘नेचर मेडिसन’ में छपे लेख के मुताबिक कोरोना वायरस के जीनोम सीक्वेंस डाटा से पता चलता है कि इस वायरस का जन्म प्राकृतिक रूप से हुआ है।

शोधकर्ताओं का दावा-प्राकृतिक रूप से पैदा हुआ है वायरस

इस विषय पर शोध कर रहे सक्रिप्पस रिसर्च में इम्यूनोलॉजी और माइक्रोबॉयोलॉजी के प्रोफेसर क्रिसटियन एंडरसन के मुताबिक, मौजूदा कोरोना वायरस के जीनोम सीक्वेंस की तुलना करने के बाद हम पूरे विश्वास से कह सकते हैं कि सार्स- सीओवी -2 प्राकृतिक रूप से पैदा हुआ है और इसको किसी लैब में नही बनाया गया है। गौरतलब है कि, क्रिसटियन एंडरसन  के अलावा, तुलान विश्वविद्यालय के रॉबर्ट एफ. गैरी, सिडनी विश्वविद्यालय के एडवर्ड होम्स, ईडनबर्ग विश्वविद्यालय के रैमबौट और कोलंबिया विश्वविद्यालय के इयान लिपकिन भी इस शोध में शामिल हैं।

चमगादड़ और छिपकली के वायरस से मिलता-जुलता है इसकी रीढ़ की हड्डी का ढांचा

शोधकर्ताओं ने कोरोना वायरस के प्राकृतिक जन्म को साबित करने के लिए इस वायरस की रीढ़ की हड्डी का अध्ययन किया। उनके मुताबिक अगर यह वायरस किसी लैब में बनाया गया होता, तो इसकी रीढ़ की हड्डी का ढांचा किसी पुरानी बीमारी फैलाने वाले वायरस के जैसा होता। जबकि कोरोना वायरस की रीढ़ की हड्डी का ढांचा बिलकुल अलग है। इतना ही नहीं, इसका ढांचा चमगादड़ और छिपकली में पाये जाने वाले वायरस से मिलता है।

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