कोरोन वायरस के प्रकोप ने आर्थिक सुधार के लिए भारत के नजरिये को एक झटके में बदल दिया है। कोविड -19 ( कोविद-19) के फैलने से पहले 2020-21 को भारत विकास के नजरिए से देख रहा था, अब कोविड -19 महामारी ने इस दृष्टिकोण को काफी बदल दिया है। पूरी दुनिया पर 2020 में मंदी छाने की आशंका है। यह बातें भारतीय रिजर्व बैंक (reserve bank of india )ने अपनी मौद्रिक नीति रिपोर्ट ( report) में कहते हुए लिखी है कि दक्षिण एशिया के विकास के इंजन (engine ) की चाल इस महामारी ने प्रभावित की है। 2019 के अंतिम तीन महीनों में भारत की अर्थव्यवस्था छह साल से अधिक समय में अपनी सबसे धीमी गति से बढ़ी और यह पांच फीसद ही रह सकती है, जो एक दशक में सबसे कम होगी।आरबीआई ( rbi) ने पिछले महीने अपने नीतिगत बयान में कहा था कि स्थिति अत्यधिक अनिश्चित बनी हुई है। इस वजह से जीडीपी ग्रोथ रेट ( gdp groth rate)पर कोई अनुमान लगाने से परहेज करना चाहिए। वर्तमान परिवेश को ‘अत्यधिक तरल’ करार देते हुए केंद्रीय बैंक ने कहा कि यह कोविड -19 की तीव्रता, प्रसार और अवधि का आकलन कर रहा है। आरबीआई ने पिछले महीने के अंत में एक आपातकालीन कदम में 75 आधार अंकों की बड़ी उधार दर में कटौती की और घरेलू बाजारों में रुपये और डॉलर ( dollor) की तरलता को बढ़ाने के लिए कई उपायों की घोषणा की।

दुनिया में कोरोना वायरस के संक्रमित मरीजों की संख्या 15 लाख के पार हो गई है। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस (corona virus) का प्रकोप थमने का नाम नहीं ले रहा है और अब दुनिया के करीब 205 देशों में फैल चुके इस कोरोना के संक्रमण की वजह से अब तक 88,500 लोगों की मौत हो गई है और 15 लाख से अधिक (कुल 1518783) लोग संक्रमित हो चुके हैं।

ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म गोल्डमैन सैक्श के मुताबिक, आर्थिक तरक्की के लिहाज से भारत कई दशक पीछे चला जाएगा। गोल्डमैन सैक्श ( goldman sachs ) ने अपने पहले के अनुमान में कहा था कि भारत की अर्थव्यवस्था में इस वित्त वर्ष में 3.3 फीसदी की बढ़त होगी। ब्रोकरेज फर्म का कहना है देश के सकल घरेलू उत्पाद में बढ़त दर महज 1.6 फीसदी रह जाएगी। यह 70-80 और 2009 के दशक में देखी गई मंदी के दौर से भी कमजोर है।

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