भोपाल। ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में जाने के बाद कमलनाथ सरकार ने सिंधिया के खिलाफ सरकारी जमीन की बिक्री के मामले में जांच शुरु करा दी है। आर्थिक अपराध अन्वेषण प्रकोष्ट (ईओडब्ल्यू) ने दो शिकायतों की जांच शुरु कर दी। ये दोनों ही शिकायतें, ईओडब्ल्यू ने 2018 में बंद कर दी थी, लेकिन गुरुवार को दोनों की फाइलें फिर से खोल दी।
गुरुवार को ही ईओडब्ल्यू डीजी सुशोभन बैनर्जी ने ग्वालियर ईओडब्ल्यू एसपी देवेंद्र सिंह राजपूत का तबादला करके उनकी जगह अमित सिंह को पदस्थ कर जांच के निर्देश दे दिए। सूत्रों के अनुसार सिंधिया की पसंद से देवेंद्र को पदस्थ किया गया था, लेकिन अमित को एसपी बनाकर तत्काल प्रभार संभालने और सिंधिया घराने के खिलाफ बंद पडी दोनों शिकायतों से संबंधित दस्तावेज बरामद करने के निर्देश जारी कर दिए हैं। जिला कलेक्टर, ग्वालियर और जिला पंजीयक से सिंधिया द्वारा बेची गई जमीन के दस्तावेज जब्त करेगे।
शिकायतकर्ता सुरेंद्र श्रीवास्तव ने गुरुवार को ईओडब्ल्यू में पुरानी शिकायतों की फिर से जांच करने के लिए आवेदन दिया था। इसके बाद ईओडब्ल्यू अचानक हरकत में आया और दोनों ही शिकायतों की फिर से जांच शुरु कर दी।
सुरेंद्र श्रीवास्तव ने 2014 में ज्योतिरादित्य सिंधिया की मां माधवीराजे सिंधिया और उनके परिजनों द्वारा महलगांव की जमीन की रजिस्ट्री में कांट-छांट कर 15800 वर्गफीट में से 6 हजार वर्गफीट जमीन गायब करने का आरोप है। 2009 में जमीन की मूल रजिस्ट्री में तीन जगह हाथों से लिखकर कांटछांट की गई है। जबकि पूरी रजिस्ट्री टाइपशुदा है।
वहीं, सिंधिया देव स्थान ट्रस्ट की 1.578 हेक्टेयर जमीन थी लेकिन 1.661 हेक्टेयर बेच दी। ट्रस्ट ने मूल जमीन से 0.083 हेक्टेयर जमीन अधिक जमीन 2006 और 2007 में दो अलग-अलग रजिस्ट्रियों के माध्यम से महाराणा प्रताप, भाग्योदय सहित पांच हाउसिंग सोसायटियों को जमीन बेच दी, जबकि बेचने का ट्रस्ट को अधिकार नहीं था। ट्रस्ट के पास यह सरकारी जमीन थी और प्रशासन की मदद से इसके फर्जी कागज तैयार कर बेचने के आरोप है।
इन बिंदुओं पर होगी जांच
मूल रजिस्ट्री में कांट-छांट की गई है तो इसकी क्रेता को जानकारी थी या उसे अंधेरे में रखकर बाद में हाथों से अलग से 15800 में 6 हजार वर्ग फीट जमीन कम करने के बारे में लिख दिया गया है? क्रेता सीमा श्रीवास्तव को गुमराह करके पहले से ही कागजों पर दो जगह तो साइन नहीं करवा लिए थे। खरीदी गई जमीन के बदले में कितना स्टांप शुल्क चुकाया गया, जमीन की वेल्यू कितनी बन रही थी और कितनी अदा की गई?।
– 6 हजार वर्गफीट जमीन कम की गई, लेकिन स्टांप शुल्क का मूल्य नहीं बदला है, ऐसा कैसे हो सकता है?।
– जमीन की कीमत 2 करोड 20 लाख नगद चुकाना बताया गया है, लेकिन स्टांप वेल्यू सिर्फ 2 लाख 51 हजार ही है, इतन अंतर कैसे हो सकता है?
– सिंधिया देव स्थान ट्रस्ट ने ज्यादा जमीन कैसे बेच दी?। सरकारी जमीन बेचने संबंधी रिकाॅर्ड तैयार करने में कौन-कौन
सरकारी अफसरों की मिलीभगत रही?
– 2018 में ये दोनों शिकायतें किस आधार पर बंद की गई थी, उस समय जांच हुई थी अथवा खानापूर्ति की गई थी?
इन पर है आरोप-
ज्योतिरादित्य सिंधिया, चित्रांगदा राजेे पत्नी युवराज विक्रमादित्य सिंह, मुख्तारआम नरसिंह राव पंवार, माधवीराजे पति माधवराव सिंधिया।
इनका कहना है
ईओडब्ल्यू में ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ 2014 में दो शिकायतें दर्ज की गई थी। 2018 में इन्हें बंद कर दिया गया था। शिकायतकर्ता सुरेंद्र श्रीवास्तव ने इनकी फिर से जांच के लिए आग्रह किया है। शिकायत में लगाए गए आरोपों का सत्यापन करवा रहे हैं। जो भी तथ्य सामने आएंगे उसके आधार पर कार्रवाई का निर्णय लिया जाएगा।