विशेष संवाददाता

समय आ गया है कि चीन को क्वारंटाइन करना होगा। उत्तर कोरिया और पाकिस्तान को छोड चीन शेष दुनिया के देशों की घृणा का पात्र बन चुका है। कोरोना वायरस फैला कर विश्व को तबाह कर देना वाले इस मुजरिम देश की जांच के नाम पर ही सुलग गयी है।

कोरोना वायरस के स्रोत के बारे में अंतरराष्ट्रीय जांच के बढ़ते दबाव का सामना कर रहे चीन ने सोमवार को कहा कि इस तरह की जांच का कोई कानूनी आधार नहीं है और अतीत में ऐसी महामारियों की जांच के कोई ठोस नतीजे नहीं आए हैं। चीन ने दुनिया भर में कहर बरपाने वाले कोरोना वायरस के स्रोत के बारे में एक तटस्थ अंतरराष्ट्रीय जांच के आह्वान पर बेहद बारीक प्रतिक्रिया दी है। मीडिया की एक खबर के अनुसार, चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने कहा कि देश को कोविड-19 संकट पर लंबे समय के लिए अभूतपूर्व प्रतिकूल परिस्थितियों और चुनौतियों के लिए तैयार रहना चाहिए।

हांगकांग स्थित ‘साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट’ में सोमवार को प्रकाशित खबर के अनुसार, शी की यह चेतावनी चीन में सदी का सबसे गहरा आर्थिक संकुचन होने, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं के पुनर्गठन और चीन के ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ (बीआरआई) को उत्पन्न खतरे के बीच आई है। 

अमेरिका समेत इन देशों ने की जांच की मांग

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के अलावा ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल ने कोविड-19 के स्रोत को लेकर बीजिंग से अधिक पारदर्शिता का आह्वान किया है। ट्रंप ने वायरस के स्रोत की जांच की मांग को आगे बढ़ाते हुए कहा है कि इसका पता लगाया जाना चाहिए कि क्या यह वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी से निकला था। यह पूछे जाने पर कि क्या चीन वायरस के स्रोत के बारे में स्वतंत्र जांच के लिए सहमत होगा, तो चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने इसे अधिक महत्व नहीं देते हुए कहा कि पूर्व में ऐसे वायरस की जांच से बहुत अधिक हासिल नहीं हुआ।

चीन ने कहा कुछ हासिल नहीं होगा

उन्होंने कहा, ‘वायरस की उत्पत्ति का स्रोत विज्ञान का विषय है और इसका अध्ययन वैज्ञानिकों और पेशेवरों द्वारा किया जाना चाहिए। इस तरह का अनुसंधान और निर्णायक उत्तर केवल महामारी विज्ञान के अध्ययन और वायरोलॉजी अध्ययनों पर पारस्परिक रूप से पुष्ट सबूत प्राप्त होने के बाद ही हासिल किया जा सकता है। यह एक बहुत ही जटिल मुद्दा है, अक्सर इसमें बहुत समय लगता है और अनिश्चितता होती है।’

कोई कानूनी आधार नहीं

उन्होंने कहा, ‘पूरे मानव इतिहास में, कई बीमारियों की उत्पत्ति का पता लगाने में एक दर्जन साल या दशकों लग गए। कुछ प्रगति हुई लेकिन कोई निर्णायक जवाब नहीं मिला। कार्य अभी भी चल रहा है।’ गेंग ने कहा कि उद्देश्य ‘यह पता लगाने का होना चाहिये कि यह कैसे होता है और मानव जाति को भविष्य में होने वाले नुकसान को रोकने का होना चाहिए।’ यह प्रतिशोध या जवाबदेही के बारे में नहीं है। इस संबंध में दुनिया में कोई मिसाल नहीं है और कोई कानूनी आधार नहीं है।’

अंतरराष्ट्रीय समुदाय का फिलहाल ध्यान कोविड-19 महामारी को नियंत्रित करने और जीवन को बचाने पर होना चाहिए। कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में करीब तीस लाख लोगों को संक्रमित किया है और दुनिया इसने  200,000 से अधिक लोगों की जान ली है।

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