बीजिंग। बॉर्डर पर भारत (India) से तनाव के चलते चीन को तगडा झटका लगा है। चीन (China) की अरबों डॉलर वाली महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) परियोजना के तहत चलने वाली अधिकतर परियोजनाएं कोरोना वायरस (Coronavirus) संक्रमण के कारण आंशिक रूप से या बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। एक चीनी अधिकारी ने यह जानकारी दी. रिपोर्ट में कहा गया है कि जो परियोजनाएं प्रभावित हुई हैं उनमें 60 अरब अमेरिकी डॉलर वाली सीपीईसी भी शामिल है।
विदेश मंत्रालय (Foreign Ministry) के अंतरराष्ट्रीय आर्थिक मामलों के विभाग के महानिदेशक वांग चियालोंग के मुताबिक, चीन के वैश्विक प्रभाव को और विस्तार देने के लिए एशिया, अफ्रीका और यूरोप में कोरोबार और निवेश को बढ़ावा देने के उद्देश्य वाली BRI की परियोजनाओं का करीब पांचवां हिस्सा महामारी से बुरी तरह प्रभावित हुआ है।
हांगकांग स्थित साउथ चाइना मॉर्निंगपोस्ट ने वांग को उद्धृत करते हुए कहा कि करीब 40 प्रतिशत परियोजनाएं बुरी तरह प्रभावित हुई हैं और 30 से 40 प्रतिशत परियोजनाओं पर कुछ असर पड़ा है।
चीन ने 2013 में इस प्रोजेक्ट को किया था शुरू
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने 2013 में सत्ता में आने पर बीआरआई को शुरू किया था। इसका उद्देश्य सड़क और समुद्री मार्ग से दक्षिणपूर्व एशिया, मध्य एशिया, खाड़ी क्षेत्र, अफ्रीका और यूरोप को जोड़ना है। पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में स्थित ग्वादर बंदरगाह को चीन के शिनजियांग प्रांत से जोड़ने वाला चीन-पाक आर्थिक गलियारा (CPEC) बीआरआई की मुख्य परियोजना है। इन परियोजनाओं को फिर से गति देने के प्रयास के तहत चीन ने पिछले हफ्ते बीआरआई की पहली वीडियो कॉन्फ्रेंस की।
भारत CPEC का करता आया है विरोध
रिपोर्ट में कहा गया है कि जो परियोजनाएं प्रभावित हुई हैं उनमें 60 अरब अमेरिकी डॉलर वाली सीपीईसी भी शामिल है. भारत ने सीपीईसी को लेकर चीन से अपना विरोध जताया था क्योंकि यह पाक के कब्जे वाले कश्मीर से होकर जा रही है। अखबार के मुताबिक मलेशिया, बांग्लादेश, इंडोनेशिया, पाकिस्तान, कंबोडिया और श्रीलंका समेत कुछ एशियाई देशों ने चीनी वित्त पोषण वाली इन परियोजनाओं पर या तो रोक लगा दी है या उन्हें विलंबित किया है। खबर में कहा गया कि उदाहरण के लिये कोविड-19 की बाधा ने सीपीईसी, कंबोडिया के शिहानुकविले विशेष आर्थिक क्षेत्र और इंडोनेशिया की जकार्ता-बानडुंग हाईस्पीड रेल परियोजना को प्रभावित किया है।
बीआरआई के तहत कई परियोजनाओं को या तो रोक दिया गया है या उनमें बेहद कम काम हो रहा है। BRI को चीन के विदेश में प्रभाव को बढ़ाने के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है जिसमें वो दुनिया भर में अपने निवेश से आधारभूत परियोजनाओं का संचालन कर रहा है। श्रीलंका द्वारा 2017 में अपने कर्ज के बदले चीन को 99 सालों के लिए हंबनटोटा बंदरगाह के इस्तेमाल का पट्टा देने के बाद चीन पर यह आरोप भी लगने लगे हैं कि वह छोटे देशों को कर्ज के बोझ तले दबा रहा है।