चीन, अमेरिका को पीछे छोड़कर दुनिया की अगली महाशक्ति बनना चाहता है। द नेशनल इंटरेस्ट में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, इसके लिए ड्रैगन संयुक्त राज्य अमेरिका को अलग-थलग करने के साथ-साथ नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली को तोड़ने की कोशिश में है, जिसे अमेरिकी और उसके सहयोगियों ने द्वितीय विश्व युद्ध के अंत के बाद से स्थापित किया है।

द नेशनल इंटरेस्ट में एक ओपिनियन पीस में, स्टावरोस एटलामाजोग्लू ने लिखा, “अमेरिका को रूस, उत्तर कोरिया, ईरान, आतंकवादी संगठनों, जलवायु परिवर्तन और महामारी से असंख्य पारंपरिक और अपरंपरागत खतरों का सामना करना पड़ रहा है। फिर भी, चीन निर्विवाद रूप से अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए प्राथमिक खतरे के रूप में शीर्ष पर पहुंच गया है।”

रिपोर्ट के अनुसार, “दुनिया की अगली महाशक्ति बनने के लिए, बीजिंग मुख्य रूप से आर्थिक, औद्योगिक और तकनीकी टारगेट का पीछा कर रहा है जो चीन की आर्थव्यवस्था और आईटी सेक्टर को लाभ प्रदान करेगा। चाहे वह F-35 या F-22, जैसे अमेरिकी (और विदेशी, रूसी सहित) विमानों और या मिसाइल प्रौद्योगिकी के ब्लूप्रिंट की चोरी क्यों न हो। चीन इसके लिए जासूसी का सहारा ले रहा है।” रिपोर्ट में आगे कहा गया है, “चीन का ये ख़ुफ़िया अभियान अमरीका की राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक समृद्धि के लिए एक गंभीर ख़तरा है।”

राष्ट्रीय प्रतिवाद और सुरक्षा केंद्र के कार्यवाहक निदेशक माइक ऑरलैंडो के एक साक्षात्कार का हवाला देते हुए, एटलामाज़ोग्लू ने लिखा है कि “चीन की इस चोरी से अमेरिका को करीब 200 से 600 बिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान हो रहा है। और यह कुछ ऐसा है जो पिछले दो दशकों से हो रहा है। इसका अर्थ यह है कि अमेरिका को अब तक करीब 4 से 12 ट्रिलियन अमरीकी डॉलर का नुकसान हुआ है।”

हाल ही में नेशनल काउंटरइंटेलिजेंस एंड सिक्योरिटी सेंटर के पूर्व निदेशक बिल इवानिना ने सीनेट सेलेक्ट कमेटी ऑन इंटेलिजेंस को बताया, “चीन की कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा प्रस्तुत संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए समग्र और व्यापक खतरा एक गंभीर खतरा है। और यह हमारे देश का अब तक का सबसे जटिल, हानिकारक, आक्रामक और रणनीतिक खतरा है।”

Atlamazoglou ने आगे कहा कि अमेरिका से आगे निकलने के लिए, चीन को अपने आर्थिक विकास को जारी रखने और तकनीकी रूप से अमेरिका और बाकी पश्चिमी देशों से आगे निकलने की जरूरत है। हालांकि, चीन नवाचार और आविष्कार पर निर्भर रहने के बजाय “प्रौद्योगिकी चोरी करना और फिर उसकी नकल करना” पसंद करता है।

चीन क्वांटम कंप्यूटिंग, ऑटोनॉमस व्हीकल, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, बायोटेक्नोलॉजी और 5G जैसी “ट्रांसपोर्ट टेक्नोलॉजीज” को टारगेट कर रहा है और चोरी कर रहा है।

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