नई दिल्ली (एजेंसी)। अमेरिकी नौसेना की क्षेत्र में बढ़ती आमदरफ्त से चीन की धड़कनें बढ़ गई हैं। अब वह आंखें तरेरने की अपनी आदत को फिलहाल भूल दोस्ती की राह पर चल निकला है। इसी के तहत अब वह दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों (आसियान) के साथ संबंध सुधारने की कोशिश में जुटा है। दक्षिण चीन सागर में चीन की बढ़ती हरकतों का जवाब देने के लिए ये देश अमेरिका की ओर देख रहे थे।

हाल में टोक्यो में हुई चार क्वाड देशों की बैठक से चीन सचेत हो गया है। इसके बाद उसके विदेश मंत्री वांग ई ने आसियान देशों की यात्रा शुरू की है। इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर, वियतनाम समेत इलाके के अन्य देशों के साथ चीन वर्षो से मनमानी कर रहा है। दक्षिण चीन सागर पर अधिपत्य जमाने के साथ ही चीन ने इन देशों के द्वीपों पर भी अधिकार जताना शुरू कर दिया है।

मछली पकड़ने के मामले में हाल के दिनों में चीन का वियतनाम और मलेशिया से विवाद भी हुआ है। इन विवादों की काली छाया खत्म करने के लिए वांग ई आसियान देशों की सद्भावना यात्रा पर निकले हैं। इस दौरान वह कोविड-19 महामारी से बचाव के लिए वैक्सीन मुहैया कराने और आर्थिक सहयोग बढ़ाने जैसे आश्वासन दे रहे हैं। इस कूटनीति में चीन इन देशों को अमेरिका से दूर रहने का संदेश भी दे रहा है।

कुआलालंपुर में मलेशिया के विदेश मंत्री के साथ संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में वांग ने कहा, चीन और आसियान देश दक्षिण चीन सागर से बाहरी ताकतों को निकालने के लिए मिलकर कार्य करेंगे। बाहरी ताकत से वांग का तात्पर्य जाहिर तौर पर अमेरिका से था। वांग का दावा है कि अमेरिका की हिंद-प्रशांत क्षेत्र की ताजा रणनीति पूर्वी एशिया की सुरक्षा के लिए खतरनाक है। कहा, उन्हें विश्वास है कि क्षेत्र के सभी देश इस खतरे से सचेत रहेंगे।

दक्षिण चीन सागर शक्तिशाली देशों के युद्धपोतों की लड़ाई की जगह नहीं बननी चाहिए। मलेशिया को आर्थिक फायदा पहुंचाने के लिए चीन ने 2023 तक उससे 17 लाख टन पाम ऑयल की खरीद करने का आश्वासन दिया है। साथ ही आसियान देशों की अर्थव्यवस्था को बढ़ाने के लिए माल का लदान तेज करने का आश्वासन दिया।

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