रोहतास बिल्डर ने दर्जनों कंपनियां बनाकर लोगों से 1000 करोड़ तक की ठगी की है। हालांकि इसमें से 500 करोड़ों रुपए की ठगी का मामला एनसीएलटी की जांच में सामने आया है। लोगों को प्लाट व मकान देने के लुभावने विज्ञापन देकर उसने लोगों को ठगा। जमीन नहीं थी फिर भी उसने योजनाएं लांच कर दी और जनता का पैसा बटोर कर बिल्डर फरार हो गया।
एनसीएलटी की जांच में रोहतास बिल्डर के 511.29 करोड रुपए की ठगी की बात सामने आई है। विस्तृत व बड़ी एजेंसी से जांच कराई जाए तो लोगों का कहना है यह ठगी 1000 करोड़ से ज्यादा की साबित होगी। राजधानी के तमाम प्रभावशाली व बड़े लोगों ने बिल्डर के यहां ब्लैक मनी लगाई थी लेकिन अब वह सामने नहीं आ रहे हैं। क्योंकि वह इस रकम को साबित नहीं कर पा रहे। अब पुलिस की सख्ती के बाद बिल्डर से ठगे गए लोग थोड़ी राहत महसूस कर रहे हैं। लेकिन उन्हें तकलीफ है कि उनकी गाड़ी कमाई के अभी भी वापस मिलने के रास्ते नहीं दिख रहे हैं। क्योंकि बिल्डर के कई सहयोगी इस मामले में साजिश रच रहे हैं। जो जमीनें हैं उसे हथियाने मैं लगे हैं। अधूरी परियोजनाओं को पूरा कराने के लिए खुद प्रस्ताव दे रहे हैं। जबकि यह पूरी तरह से बिल्डर के साथ ठगी में शामिल रहे हैं। लेकिन इनके खिलाफ अभी तक कोई कार्यवाई नहीं हुई है। बिल्डर ने फैजाबाद रोड, सुल्तानपुर रोड तथा रायबरेली रोड पर भूखंड की योजनाएं लांच कर लोगों को ठगा है। अलग-अलग कंपनियों के नाम पर जमीन खरीदी।
विभूति खंड में फ्लैट खरीदने वाले लोग आज भी भटक रहे हैं
रोहतास बिल्डर ने विभूति खंड में प्लूमेरिया अपार्टमेंट बनाया। इसमें भी फ्लैट खरीदने वाले लोग अभी परेशान भटक रहे हैं। सैकड़ों लोगों को अभी तक उनका मकान नहीं मिल पाया है। अधूरे खड़े हैं। इसमें भी खरीदारों का करोड़ों रुपए फसा है। रोहतास ग्रुप के मैनेजिंग डायरेक्टर एंड प्रमोटर पंकज रस्तोगी, डायरेक्टर एंड प्रमोटर्स परेश रस्तोगी तथा डायरेक्टर पीयूष रस्तोगी ने लोगों से ठगी की है।
1000 करोड़ से अधिक के घपले की आशंका
रोहतास ने सीधे तौर पर 21 कंपनियां बनाकर घपला किया। इसमें करीब 1000 करोड़ से अधिक की ठगी हुई है। सीबीआई जैसी बड़ी संस्था से जांच हो जाए तो इसमें बड़े पैमाने पर काले धन के शामिल होने की भी पुष्टि हो सकती है।
पब्लिक के साथ बैंकों को भी लगाया चूना
आवंटियों से ठगी गई रकम- 405.60 करोड़
केनरा बैंक से- 31.33 करोड़
इंडियन बैंक- 28.75 करोड़
पैसलो डिजिटल लिमिटेड एनबीएफसी- 22.40 करोड़
आईडीएफसी फर्स्ट लिमिटेड- 13.3 एक करोड़
पीएनबी हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड- 4.38 करोड़
एचडीएफसी लिमिटेड 3.54 करोड़
एक्सिस बैंक- 1.98 करोड़