सी के मिश्रा
वित्त विश्लेषक
सभी जानते हैं कि एक फरवरी को बजट आने वाला है । इनकम टैक्स अगर इस बजट में घटाया जाता है तो इसका सीधा असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा । पहले से भी जीडीपी हमारी कमजोर है । इससे इसका बोझ और बढ़ जाएगा सरकार असमंजस में है कि हम लोगों को कैसे इसका फायदा दे सकें ? क्योंकि पिछले सालों में इनकम टैक्स के स्लैब रेट को कम किए गए थे और कुछ अतिरिक्त सीमा भी बढ़ाई गई थी।
सरकार के पास इसके अलावा एक रास्ता और है या तो इनकम टैक्स स्लैब के रेट को चेंज करें या जो कटौती दी जाती हैं, जैसे धारा 80सी या 80दी के साथ और भी धाराएं जिसके अंदर छूट प्रदान की जाती है, उसकी सीमा को बढ़ाएं। लेकिन सारी कवायद जाकर जीडीपी पर रुक जाती है । अगर इनकम टैक्स रेट कम हुआ तो असर जीडीपी पर पड़ेगा या तो सरकार इसकी भरपाई किसी और तरीके से करे जिसका आज सबसे बड़ा महत्वपूर्ण रास्ता जीएसटी है। अगर इनकम टैक्स में कटौती की गई तो उसकी भरपाई की जा सकती है जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था पर कोई विशेष असर न हो।
जैसा कि पता है कि सरकार ने कारपोरेट टैक्स को भी कम कर दिया था । अब आगे कटौती लॉजिकल भी नहीं लग रही है । लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था को बढ़ाने के लिए सरकार कुछ न कुछ ऐसे कदम जरूर उठाएगी जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था के साथ-साथ भारतीय उद्योग और छोटी इकाई जो एकदम मर चुकी है उनको संजीवनी देने में सहायक होगी ।
सबसे बड़ी बात यह कि बेरोजगारी से झेल रही जनता को सबसे ज्यादा अपेक्षा है कि सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर और अन्य क्षेत्र में कुछ ऐसी योजना लाए जिससे नौकरियों में इजाफा हो।
जैसा कि पिछले महीनों में जीएसटी का कलेक्शन एक लाख करोड़ से भी ज्यादा हो चुका है जो सरकार का सबसे महत्वपूर्ण आय का स्रोत बनने जा रहा है ।
साथ में एक बात और है । अगर इनकम टैक्स रेट कम किया जाता है तो भारतीय उपभोक्ताओं की क्य शक्ति बढ़ेगी जिससे भारतीय उद्योग विकसित होंगे और उसका सीधा असर जीडीपी ग्रोथ पर पड़ेगा । ये दोनों कयास एक दूसरे के पूरक है कि एक तरफ अगर सरकार टैक्स घटाती है तो उसका असर भी जीडीपी पर पड़ेगा लेकिन उसका दूसरा असर है कि अगर वह जीटीए टैक्स इनकम टैक्स रेट घटजाता है तो इसका असर भी जीडी पेपर के ग्रोथ में माना जा सकता है सरकार ऐसे कुछ प्लान में है कि लोगों को राहत भी मिले और जीडीपी में भी सुधार आए।