लंदन । कोरोना वायरस के नए स्वरूप से पूरी दुनिया में दहशत का माहौल है। इस महामारी से सात करोड़ से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं। इस बीच ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने सवा लाख जीनोम (जीनोम सिक्वेंसिंग: जीनोम का अनुक्रमण) की जांच के बाद कोरोना वायरस के नए स्वरूप को पकड़ने में सफलता पाई है। पूरी दुनिया में कोरोना के सात करोड़ से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं, लेकिन अभी तक महज 2.75 लाख मामलों की ही जेनेटिक सीक्वेंसिंग हो पाई है। इनमें से सवा लाख सीक्वेंसिंग अकेले ब्रिटेन ने की है।
इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि जीनोम का अनुक्रमण करना कितना जटिल है। अगर देखा जाए तो दुनिया में सबसे ज्यादा जीनोम सीक्वेंसिंग ब्रिटेन में ही हुई है। हालांकि अमेरिका के एक प्रतिष्ठित अखबार के अनुसार ब्रिटेन ने अब तक 3,700 और अमेरिका ने 40 से कम में वायरल जीनोम अनुक्रमित किया है।
क्या है जीनोम अनुक्रमण?
जीनोम अनुक्रमण (जेनेटिक सीक्वेंसिंग) के तहत डीएनए के भीतर न्यूक्लियोटाइड के सटीक क्रम का पता लगाया जाता है। इसके अंतर्गत डीएनए में मौजूद चारों तत्त्वों- एडानीन, गुआनीन, साइटोसीन और थायामीन के क्रम का पता लगाया जाता है। डीएनए अनुक्रमण विधि से लोगों की बीमारियों का पता लगाकर उनका समय पर इलाज करना और साथ ही आने वाली पीढ़ी को रोगमुक्त करना संभव है। अगर आसान भाषा में कहें तो जीनोम सिक्वेंसिंग बालों के गुच्छा जैसा है, जिसको आपस में जोड़ना है। यह कितना मुश्किल है आप समझ सकते हैं।
भारत में भी जीनोम सक्वेंसिंग
भारत में विभिन्न वैज्ञानिक संस्थान मिलकर कोरोना वायरस की जीनोम सीक्वेंसिंग कर रहे हैं। अब तक देश के विभिन्न वैज्ञानिक संस्थानों में कोरोना की करीब चार हजार जीनोम सीक्वेंसिंग की जा चुकी है। इसमें से सबसे ज्यादा सीक्वेंसिंग वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर) द्वारा की गई है। चार हजार सैंपल की सीक्वेंसिंग में दस तरह के कोरोना वायरस मिले, जिनमें से एक ए3आई रूप है, जो भारत में सबसे ज्यादा तेजी से प्रसारित होने वाला रूप है।
नए स्वरूप में प्रोटीन अंश 99 फीसदी तक मौजूदा स्ट्रेन के बराबर
बायोएनटेक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) उगुर साहीन ने कहा कि वैक्सीन में 1,270 से अधिक एमीनो एसिड हैं। इनमें से केवल नौ में बदलाव है। उन्होंने कहा कि इसका मतलब यह हुआ कि ब्रिटेन में वायरस के नए स्वरूप में प्रोटीन अंश 99 फीसदी तक मौजूदा स्ट्रेन के समान ही है। इसलिए वैज्ञानिक आधार पर बायोएनटेक आश्वस्त है कि टीका प्रभावी रहेगा। साहीन ने कहा, वैज्ञानिक फिलहाल इस पर परीक्षण कर रहे हैं और अगले दो हफ्ते में आंकड़ें मिल जाएंगे। उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि हमारा टीका काम करेगा।
मॉडर्ना को उम्मीद उसका भी टीका नए स्ट्रेन से लड़ने में सक्षम
मॉडर्ना को उम्मीद है कि उसके भी टीके कोरोना के नए स्वरूप से लड़ने में सक्षम होगा। यह जानकारी मॉडर्ना के अधिकारी ने दी है। इससे पहले अमेरिका के खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) की सलाहकार समिति ने मॉडर्ना द्वारा विकसित कोविड-19 टीके के आपात इस्तेमाल की मंजूरी दी थी। इससे लगभग एक सप्ताह पहले फाइजर के कोविड-19 टीके के आपात इस्तेमाल को मंजूरी दी गई थी।