नई दिल्ली। भारत के साथ राफेल डील को लेकर फ्रांसीसी पत्रिका ‘मीडियापार्ट’ ने घूस दिए जाने का नया दावा किया है। पत्रिका ने दावा किया है कि दसॉल्ट एविएशन ने 2007 और 2012 के बीच मॉरीशस में बिचौलिए को रिश्वत का भुगतान किया। पत्रिका ने जुलाई में खबर दी थी कि 36 राफेल लड़ाकू विमानों की आपूर्ति के लिए भारत के साथ 59,000 करोड़ रुपये के अंतर-सरकारी सौदे में संदिग्ध भ्रष्टाचार और पक्षपात की ‘अत्यधिक संवेदनशील’ न्यायिक जांच का नेतृत्व करने के लिए एक फ्रांसीसी जज को नियुक्त किया गया है। रक्षा मंत्रालय या दसॉल्ट एविएशन की ओर से इस ताजा रिपोर्ट पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।

पत्रिका ने आरोप लगाया कि ‘ऐसे दस्तावेजों’ के होने के बावजूद भारतीय जांच एजेंसियों ने मामले में आगे नहीं बढ़ने का फैसला किया।

रिपोर्ट में दावा किया गया है, ‘इसमें ऑफशोर कंपनियां, संदिग्ध एग्रीमेंट और ‘फर्जी’ बिल शामिल हैं. मीडियापार्ट यह खुलासा कर सकती है कि भारत के सीबीआई और ईडी के अधिकारियों के पास अक्टूबर 2018 से इस बात के सबूत थे कि फ्रांसीसी विमानन कंपनी दसॉल्ट ने बिचौलिए सुशेन गुप्ता को गुप्त कमीशन में कम से कम 75 लाख यूरो (करीब 65 करोड़ रुपये) का भुगतान किया था।’

इस दावे के बाद बीजेपी के IT विभाग के प्रभारी अमित मालवीय ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि यूपीए शासन के दौरान रिश्वत का भुगतान किया गया था। मालवीय ने ट्वीट किया, ‘दसॉल्ट ने 2004-2013 के दौरान बिचौलिए सुशेन गुप्ता को राफेल बेचने के लिए 1.46 करोड़ यूरो का भुगतान किया। यूपीए रिश्वत ले रहा था, लेकिन सौदे को अंतिम रूप नहीं दे सका। एनडीए ने बाद में इसे रद्द कर दिया और फ्रांस सरकार के साथ करार किया, जिससे राहुल गांधी परेशान हो गए। ‘

एनडीए सरकार ने 23 सितंबर, 2016 को भारतीय वायु सेना के लिए 36 राफेल जेट विमान खरीदने का सौदा किया था।

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