नई दिल्ली (एजेंसी)। कोरोना वायरस के डेल्टा वैरिएंट से भीषण तबाही का सामना कर चुकी दुनिया ओमिक्राॅन वैरिएंट के सामने आने के बाद दहशत में है। ओमिक्रॉन को लेकर कम जानकारी और अधिक अटकलों के चलते डर का माहौल बढ़ता ही जा रहा है। इस वैरिएंट के तेजी से फैलने के साथ ही मौजूदा वैक्सीन को बेअसर करने की भी आशंका जताई जा रही है। ऐसे में भारत के एक विषाणु विज्ञानी के दावे से भय और भ्रम से पैदा हुए अंधेर में उम्मीद की किरण नजर आई है।
प्रख्यात विषाणु विज्ञानी डा. टी जैकब जान का कहना है कि कोरोना रोधी वैक्सीन की बूस्टर डोज ओमिक्रोन को रोकने का सबसे आसान और तात्कालिक उपाय है। उनके मुताबिक हो सकता है कि ओमिक्रोन महामारी की तीसरी लहर का कारण नहीं बने, लेकिन ब्रेकथ्रू संक्रमण का कारण बन सकता है। ब्रेकथ्रू संक्रमण से मतलब ऐसे लोगों के संक्रमित होने से है जो वैक्सीन की दोनों डोज ले चुके हैं।
दक्षिण अफ्रीका में पिछले महीने के आखिरी हफ्ते में पहली बार पहचाने गए ओमिक्रोन वैरिएंट (बी.1.1529) में अब तक 34 बदलाव हो चुके हैं, जो अल्फा, बीटा, गामा और डेल्टा की तुलना में बहुत ज्यादा हैं। ये सभी ‘वैरिएंट आफ कंसर्न’ हैं। ओमिक्रोन के स्पाइक प्रोटीन में भी कई म्युटेशन की बात सामने आ रही है। इसी के चलते इसके तेजी से फैलने और मौजूदा वैक्सीन को बेअसर करने की बात कहीं जा रही हैं, क्योंकि अभी तक मूल वायरस के स्पाइक प्रोटीन के आधार पर ही वैक्सीन बनाई गई हैं।
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) के विषाणु विज्ञान एडवांस अनुसंधान केंद्र के निदेशक रह चुके डा. जान ने प्रेट्र से बातचीत में कहा कि ओमिक्रोन को हमारी उक्ति ‘सर्वश्रेष्ठ की अपेक्षा करें लेकिन सबसे बुरे के लिए तैयार रहें’ की होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि कोरोना के खिलाफ टीकाकरण में हमारी स्थिति एक प्याली के एक तिहाई भरे होने जैसी है, क्योंकि अभी तक सिर्फ 30 प्रतिशत आबादी को ही वैक्सीन की दोनों डोज दी जा सकी है। यह स्थिति खराब नहीं, लेकिन इसमें और सुधार की जरूरत है। उन्होंने कहा कि महामारी की पहली और घातक दूसरी लहर से भारत में ज्यादातर लोगों में कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबाडी बन गई है।
डा. जान कहते हैं कि ऐसी पृष्ठभूमि में अगर यह वैरिएंट शरीर में प्रवेश करता है और तेजी से फैलता है तो यह अप्रत्याशित हो सकता है। परंतु, स्थिति इतनी बुरी भी नहीं होगी जितनी लोग डरे हैं। यह तीसरी लहर का कारण भी नहीं हो सकता है। इसके बावजूद, इससे बचने का सबसे अच्छा तरीका यही होगा कि हम अपनी आबादी में प्रतिरक्षा पैदा करें, जिसे आमतौर पर सामुदायिक प्रतिरक्षा कहते हैं। इसका मतलब है कि हमें दो चीजें तुरंत करनी चाहिए, जिन्हें कोई डोज नहीं लगी है उन्हें पहली डोज लगाई जाए और जिन्हें दोनों डोज लग गई हैं उन्हें बूस्टर डोज दी जाए।
उन्होंने कहा कि कोरोना के प्रसार के रास्ते में बूस्टर डोज ही सबसे आसान बाधा है, जिसे तुरंत पैदा करना चाहिए। उनके मुताबिक बच्चों से लेकर गर्भवती महिलाओं को भी कोरोना का टीका लगाया जाना चाहिए।
मौजूदा वैक्सीन के प्रभाव को लेकर उनका कहना है कि ब्रेकथ्रू मामले सामान्य हो सकते हैं। मूल वायरस समान है इसलिए उम्मीद है कि बूस्टर डोज से पैदा होने वाली उच्च प्रतिरक्षा न सिर्फ हमें इस बीमारी से बचाएगी, बल्कि इसके प्रसार की रफ्तार को भी कम करेगी