कोरोना वायरस को लेकर दुनिया भर में हो रहे ताजा अध्ययनों से इस तरह के संकेत मिले हैं कि corona pandemic कोरोना महामारी जल्दी पिंड छोड़ने वाली नहीं और इसके लंबे समय तक बने रहने के आसार हैं। Researchers शोधकर्ताओं का कहना है कि दुनियाभर में सिर्फ एक दौर की social distancing सामाजिक दूरी काफ़ी नहीं, सिर्फ़ इससे काम नहीं चलेगा। हमें अगले दो साल के लिए बचाव के इंतजाम करने होंगे।
शोधकर्ताओं का अनुमान है कि संक्रमण का भविष्य geographical condition भौगोलिक स्थिति, weather मौसम से लेकर preventive policies रोकथाम नीतियों, social distancing सामाजिक दूरी और herd immunity हर्ड इम्युनिटी जैसे अलग-अलग कारकों पर निर्भर करेगा। लिहाजा, निकट भविष्य में संक्रमितों की तादाद कम होने मात्र से निश्चिंत होकर नहीं बैठना चाहिए। आगे भी संक्रमण रह-रहकर सामने आता रहेगा या इसमें पहले के मुकाबले अचानक इजाफा भी देखने को मिल सकता है।
वायरस प्रसार की तीन स्थितियां
Horward HT Chan school of public health हार्वर्ड एचटी चान स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के महामारी विशेषज्ञ Dr. Marc Lipsich डॉ मार्क लिपसिच के मुताबिक निकट भविष्य में संक्रमण थमना मुश्किल है। लिपसिच हाल ही में हुए दो अध्ययनों के सह-लेखक रहे हैं।
इनमें एक अध्ययन university of Minnesota यूनिवर्सिटी ऑफ मिनेसोटा और दूसरा horward university हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में हुआ है। अध्ययन में आगामी महीनों में महामारी के संभावित स्वरूप पेश किए गए हैं। एक अध्ययन में कोरोना की तीन स्थितियां बताई गई हैं तो दूसरे में मौसम, हर्ड इम्युनिटी और सामाजिक दूरी पर focus फोकस किया गया है।
..तो यूं फैलेगा कोरोना, शिखर और गर्त
इसके तहत कोरोना की मौजूदा लहर में ज्यादा मामले सामने आएंगे। फिर इसमें गिरावट के बाद इसी साल दोबारा संक्रमितों का graph ग्राफ ऊपर चढ़ने लगेगा। 2022 तक सतत उतार-चढ़ाव के बाद महामारी समाप्त हो जाएगी।
लौटकर आएगा…
मौजूदा लहर कमजोर पड़ने के बाद संक्रमण सर्दियों में बड़ी ऊंचाई पर पहुंच जाएगा। फिर यह तेजी से नीचे आएगा और इसके बाद दो साल तक महामारी छोटी-छोटी लहरों में आती रहेगी। इसे fall peak model फॉल पीक मॉडल कहते हैं। यह स्थिति 1918-19 में आए Spanish flu pandemic स्पैनिश फ्लू महामारी जैसी होगी।
धीमी लहर…
मार्च से मई तक शीर्ष पर पहुंचने के बाद महामारी बिना उतार-चढ़ाव के 2022 तक बहुत मंथर गति से जारी रहेगी। इन संभावनाओं के मद्देनजर विशेषज्ञों का कहना है कि हमें अगले 18-24 माह के लिए covid contagion कोविड संक्रमण के लिए तैयार रहना चाहिए। इस दौरान विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में hot-spot हॉट-स्पॉट सामने आते रहेंगे।
सामाजिक दूरी, हर्ड इम्युनिटी और मौसम
दूसरे अध्ययन में शोधकर्ताओं ने कहा है कि आमतौर पर प्रति दस हजार लोगों में 35 मामले सामने आने पर सामाजिक दूरी अपनाई जाने लगती है। हालांकि, स्थानीय स्तर पर इसका पैमाना अलग हो सकता है।
इसके बाद, प्रति दस हजार में पांच मामले रह जाने पर सामाजिक दूरी में ढिलाई दी जाती है। वहीं herd immunity हर्ड इम्युनिटी का पैमाना 55 फीसदी आबादी में प्रतिरक्षा को माना जाता है।
महामारी के प्रसार में एक अन्य बड़ा कारक मौसम है। शोधकर्ताओं का कहना है कि गर्म दिनों में virus वायरस धीमा हो जाता है।हालांकि, इस साल वायरस की अति सक्रियता के कारण गर्मी में भी बड़ी आबादी जोखिम में रहेगी।
रियायत में सतर्कता
एक दूसरे मॉडल के अनुसार, शोधकर्ताओं ने critical care क्रिटिकल केयर क्षमता को दोगुना करने पर जोर दिया है ताकि सामाजिक दूरी के पैमानों में ढील दी जा सके। उनका कहना है कि इससे प्रति दस हजार में 70 लोगों में संक्रमण होने पर सामाजिक दूरी अपनाई जा सकती है।
बेहद जरूरी सामाजिक दूरी
कुल मिलाकर शोधकर्ताओं ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि महामारी नियंत्रित करने के लिए सामाजिक दूरी का एक चरण पर्याप्त नहीं होगा। इसे हटाने के फौरन बाद ज्यादा लोग संक्रमण के जोखिम में रहेंगे। हर्ड इम्युनिटी बनने में भी काफी वक्त लगेगा। लिहाजा vaccine वैक्सीन नहीं आई तो 2021-22 तक यह महामारी बनी रह सकती है।
मौसम और महामारी भविष्यवाणी में समानता
विशेषज्ञों के अनुसार, मौसम भविष्यवाणी और महामारी मॉडलिंग में समानता है। दोनों को ही साधारण गणितीय व्याख्या से समझा जाता है। मौसम के मामले में यह व्याख्या फिजिक्स और केमिस्ट्री आधारित होती है।
वहीं, संक्रामक रोगों की modelling मॉडलिंग वायरस और महामारी विज्ञान के आधार पर की जाती है। जाहिर तौर पर इंसान मौसम को तो नहीं बदल सकता। लेकिन अपने व्यवहार, मनोवैज्ञानिक, सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक कारकों के बीच संतुलन से महामारी का भविष्य बदला जा सकता है।