वाराणसी। कोरोना वायरस संक्रमण के दौरान एक ब्लैक फंगस संक्रमण के मामले सामने आने शुरू हुए हैं। इस संक्रमण के मामले दिल्ली, गुजरात, अहमदाबाद और मुंबई के अस्पतालों में पिछले कुछ दिनों में देखने को मिल रहे हैं। इस बीमारी में, संक्रमित व्यक्ति को इलाज नहीं मिलने पर उसकी आँखों की रौशनी जाने के साथ-साथ उसकी मौत भी हो सकती है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस संक्रमण का पहला मामला वाराणसी में दर्ज किया गया है। सूरत से शुरू हुई फंगल इन्फेक्शन से शुरू हुई बीमारी म्यूकॉर माइकोसिस ने बनारस में भी दस्तक दे दी है। चिकित्सा विज्ञानी इसे ब्लैक फंगस भी कह रहे हैं। कोविड से संक्रमित लोगों में उपचार से ठीक होने के बाद यह बीमारी उजागर हो रही है। खासतौर से उन मरीजों में जो हाईब्लड प्रेशर या मधुमेह के शिकार पहले से हैं। सूरत के बाद अहमदाबाद, दिल्ली और जयपुर में काफी संख्या में इस बीमारी के रोगी सामने आ भी चुके हैं।

बनारस में अब तक का एकमात्र केस एक तनिमा मित्रा नामक महिला में मिला है। करीब 58 वर्षीय तनिमा मित्रा कोविड़ से संक्रमित थी। उनका उपचार मुढ़ैला स्थित एक निजी अपस्ताल में हुआ। कोविड-19 की रिपोर्ट निगेटिव आने से दो दिन पहले महिला को आंख में दिक्कत हुई। उसकी एक आंख लाल होने लगी। इसे कंजेक्टिवाइटिस मान कर उपचार किया जाने लगा लेकिन स्थित में सुधार न होने पर चिकित्सकों को ब्लैक फंगस का शक हुआ तो उन्होंने मरीज को बीएचयू रेफर कर दिया।

महिला के पति अजय मित्रा ने बताया कि मुढ़ैला के अस्पताल में कोविड के उपचार में साढ़े छह लाख रुपए खर्च हो गए। जब आंख में दिक्कत हुई तो उन्होंने संतुष्टि हास्पिटल रेफर कर दिया। यहां से हेरिटेज ले जाने को कहा गया। हेरिटेज ने भर्ती करने से इनकार कर दिया तो हम फिर संतुष्टित में ही तीन दिन से पड़े है। यहां की आई स्पेशलिस्ट नेहा शर्मा ने सोमवार तक ऑपरेशन की बात कही है। पहले तो बाईं आंख ही इन्फेक्शन के कारण बंद हुई थी। शनिवार से दाहिनी आंख में भी सूजन हो गई है। सोमवार को ऑपरेशन भी तभी होगा जब एनेस्थीसिया के डाक्टर की ओर से हरी झंडी मिल जाएगी।

ब्रेन तक पहुंचा तो आंख निकालना मजबूरी

बीएचयू के वरिष्ठ नेत्ररोग विशेषज्ञ डा. एमके. सिंह ने बताया कि यह फंगल इन्फेक्शन नाक और आंख के रास्ते शरीर में प्रवेश करता है। आंख के नीचे फंगस का जमावड़ा हो जाता है जिसके बाद सेंट्रल रेटिंग आर्टरी में ब्लड का फ्लो बंद हो जाता है। इन्फेक्शन इतना प्रभावी है कि आंख के रास्ते मस्तिष्क तक पहुंच जाता है। इसके रोगी की जान बचाने के लिए उसकी आंख निकालनी पड़ती है। यदि आंख निकालने में देर हो जाए तो मरीज की जान बचाना मुश्किल है। डा. सिंह ने बताया कि देश में अनियंत्रित मधुमेह की बीमारी से ग्रसित रोगियों को कोरोना होने पर स्टेरॉयड का जरूरत से अधिक इस्तेमाल किया गया। इससे कोरोना की बीमारी से निजात मिली लेकिन लेकिन ब्लैक फंगस यानि कि म्यूकॉर माइकोसिस ने बहुत से लोगों को चपेट में लेना शुरू कर दिया है। पहले यह फंगल इन्फेक्शन साइनस में होता है। इसके दो से चार दिनों के भीतर यह आंखों तक पहुंचता है। इसके एक दिन के अंदर यह ब्रेन तक पहुंच जाता है। इन्फेक्शन जब ब्रेन में पहुंच जाता है तो आंख निकालना मजबूरी हो जाता है।

देश के कई शहरों में मिले केस

देश के कई शहरों जैसे कि दिल्ली, जयपुर, सूरत और अहमदाबाद में ब्लैक फंगस से पीड़ित मरीजों का मामला काफी संख्या में सामने आ रहा है। सूरत में 40 और जयपुर 52 लोग,जो कोरोना से ठीक हो चुके हैं उनमें यह इनफेक्शन गंभीर रूप ले चुका है। सूरत में आठ लोगों की आंखें निकालनी पड़ी हैं। दिल्ली में भी 68 रोगियों में इसके लक्षण मिले हैं। देश के अलग-अलग हिस्सों में अब तक 270 रोगियों के बारे में जानकारी सामने आई है। कोरोना की पहली लहर में भी यह बीमारी थी लेकिन उतनी प्रभावी नहीं थी। दूसरी लहर में कोरोना के कई स्ट्रेन एक साथ कहीं अधिक विषैले होकर हमलावर हो गए जिसके कारण दवाओं की अधिक डोज रोगियों को देनी पड़ी। यही कारण है कि इस बार म्यूकॉर माइकोसिस के केस काफी संख्या में सामने आने लगे हैं।

क्या हैं लक्षण

डा. एमके. सिंह ने बताया कि किसी मरीज को मिकोर माइकोसिस हो जाता है तो उसे सिर में लगातार असहनीय दर्द होगा। आंख लाल रहेगी। दर्द के कारण आंखों से पानी गिरता रहेगा। इसके साथ ही आंख में मूवमेंट भी होना बंद हो जाता है। कमजोर इम्युनिटी वालों को भी इससे खतरा है।

नीति आयोग ने भी बनाए रखी है नजर

पोस्ट कोविड फंगल इंफेक्शन पर नीति आयोग ने भी नजर बना रखी है। आयोग के वरिष्ठ सदस्य वीके पॉल ने कहा कि जानलेवा ब्लैक फंगस या म्यूकोरमाइसिस की घटना स्वभाविक है। इसका कोविड के सभी रोगियों पर असर नहीं है। यह संक्रमण केवल उन लोगों को प्रभावित करता है जिनका ब्लड शुगर लेवल हाई रहता है। अगर किसी की डायबिटीज कंट्रोल में है, तो चिंता करने की जरूरत नहीं है। आयोग इसे लेकर गंभीर है।

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