लॉकडाउन के 51 दिन में 51 फोटोग्राफी और अपनी कला को हर तरह से निखारने का हुनर

महामना की बगिया यानी काशी हिंदू विश्वविद्यालय के दृश्य कला संकाय की छात्रा श्रेया गर्ग ने अपनी कला को निखारते हुए घर में ही समय का बेहतरीन सदुपयोग किया ।

श्रेया का मानना है कि महामारी के कारण लोगों को महीनो तक अपने घरों में ही कैद रहना पड़ेगा ऐसा किसी ने कभी सोचा भी नहीं था। खुद को बचाने के लिए ऐसा करने के अलावा कोई चारा भी नहीं था। ऐसे में कुछ कलाकार अपनी कला को हर तरीके से निखारने में लगे हैं।
इसी के तहत श्रेया ने भी घर में रहकर “तमसो मा ज्योतिर्गमय” मतलब अंधकार से उजाले तक सोच को बदलने की मुहिम के जरिए फोटोग्राफी और उससे बने वीडियो एल्बम के ज़रिए एक संदेश देने की कोशिश की है।

बकौल श्रेया, लॉकडाउन में घरों के चाहर दीवारी में कैद होने के बाद कुछ दिन में ही जब मन अस्वस्थ होने लगा तब उन्होंने बनारस के अपने मार्गदर्शक चार बार के गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्डधारी डॉ. जगदीश पिल्लई से संपर्क कर लॉकडाउन को सकारात्मकता से बिताने के लिए कुछ आइडिया मांगा। हर परिस्थिति को सकारात्मक तरीके से देखने वाले पिल्लई ने तुरंत कहा कि नया कैमरा ली हो तो हर दिन घरों में ही अलग-अलग वस्तुओं की फोटोग्राफी करती रहो। हर दिन का सबसे अच्छा फोटो सेलेक्ट करके उस दिन को समर्पित करने को कहा। इस दौरान पिल्लई सर ने उन्हें कुछ टिप्स भी दिए।

श्रेया ने बताया, जब लॉकडाउन आगे बढ़ने लगा तो फिर 51 दिन तक इसे करते रहने की ठान ली और आज जीवन भर इस महामारी के दौर को सकारात्मक तरीके से याद रखने के लिये अपने कलाकारी का यह नज़राना देश को समर्पित करने का मौका मिला। फोटोग्राफी में ज्यादातर घर के अंदर की चीजें और अड़ोस-पड़ोस में अपने घर से ही दिखने वाले चीजों को ही दिखाया गया है। इस फोटोग्राफी का दृश्य संकलन इस तरह किया गया है जैसे हर फोटो ब्लैक एंड वाइट से कलर में परिवर्तित हो रही हो इसलिए इस थीम को तमसो मा ज्योतिर्गमय नाम दिया गया है, जो अपने कला से महामारी के अंधकारपूर्ण दिनों को रंगों की दुनिया में परिवर्तित किया गया है।

वीडियो एल्बम के बैकग्राउंड में हमें अंधकार से उजाले तक ले जाने के लिए वैदिक प्रार्थना है जिसे पिल्लई सर ने गाया हुआ है।

ॐ असतो मा सद्गमय,
तमसो मा ज्योतिर्गमय।
मृत्योर्मा अमृतं गमय।
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः॥

इसके बाद श्रेया अपने कला से स्वच्छ गंगा के ऊपर एक अलग सी कलाकृति बनाने की तैयारी में हैं। श्रेया गर्ग नबी नगर औरंगाबाद बिहार की रहनेवाली हैं।

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