कोरोना संकट के बीच भारत और चीन बॉर्डर पर दोनों देशों ने सैन्यॅ तैनाती बढ़ाई है।
भारत और चीन (India China) ने 5-6 मई को पैंगोंग त्सो सेक्टर (Pangong Tso sector) में सैनिकों के बीच हिंसक झड़प के बाद पूर्वी लद्दाख में अनसुलझे सीमा समेत कुछ अन्य क्षेत्रों में सेना की तैनाती को बढ़ा दिया है। यह क्षेत्र पहले भी टकराव की जगह रही है। सूत्र बताते हैं कि डेमचोक, चुमार और दौलत बेग ओल्डी जैसी जगहों पर सेना की तैनाती बढ़ाई गई। इसके साथ ही गालवान घाटी में नदी के पास कुछ टेंट ( tent)लगाने और चीनी गतिविधि शुरू करने के बाद टकराव की जगह के रूप में उभर रही थी। भारतीय सेना के एक सूत्र ने कहा, ‘उन्हें स्पष्ट रूप से, गालवान नदी के पास हमारे सैनिकों द्वारा चुनौती दी गई है।
‘1962 के युद्ध के दौरान भी गालवान क्षेत्र टकराव की जगह थी। विवादित क्षेत्रों में टेंट लगाना पिछले कई वर्षों से पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (pla) की रणनीति है।
दो साल पहले यहीं घुसपैठ की थी
पीएलए सैनिकों ने 2018 में डेमचोक सेक्टर (जहां सिंधु बहती है) के अंदर लगभग 300-400 मीटर की दूरी पर टेंट लगाकर घुसपैठ की थी। सूत्र ने कहा कि ‘ऐसी परिस्थितियों में, हमें अपने सैनिकों को भी आगे बढ़ाना होता है, जिसके चलते टकराव का सामना करना पड़ सकता है जिन्हें सैन्य या राजनयिक चैनलों के माध्यम से हल किया जाता है।’
इससे पहले भारत और चीन के सैनिकों के दो मौकों पर आमने-सामने आने के सवाल पर सेना प्रमुख मनोज मुकुंद नरवणे ने कहा कि दोनों मामले आपस में जुड़े नहीं हैं। उन्होंने कहा, “हम मामले-दर-मामले के आधार पर इनसे निबट रहे हैं। मैंने इन तनातनी में कोई एक जैसा प्रारूप नहीं देखा। दो मोर्चों पर युद्ध की बात पर उन्होंने कहा कि यह एक संभावना है और देश को ऐसे परिदृश्य का सामना करने के लिये तैयार रहना चाहिए।