विशेष संवाददाता

नागरिकता कानून के विरोध के नाम पर देश को बदनाम और अस्थिर करने की नापाक कोशिशें थमने का नाम नहीं ले रही हैं। सुप्रीम कोर्ट के वार्ताकारों के समझाने-बुझाने पर शाहीन बाग में एक कालिंदी कुंज जाने वाला एक रास्ता थोडी देर के लिए खोला गया था, तो आधी रात के बाद जाफराबाद मेट्रो स्टेशन पर हाथ में तिरंगा थामे मुस्लिम महिलाएं बैठ गयीं। साफ जाहिर है कि, जब शाहीन बाग में शीर्ष अदालत के कुशल वार्ताकारों के अकाट्य तर्कों और ठोस दलीलों के सामने कपोल-कल्पित तथ्य और कुतर्क कमजोर पड़ते नजर आये, तो तुरंत पैंतरा बदल कर जाफराबाद में नया मोर्चा खोल दिया गया, ताकि वैचारिक-तार्किक दरिद्रता और गजवा-ए-हिन्द के घृणित इरादे हो-हल्ले में दबे-छिपे रहें।

सीएए से गजवा-ए-हिन्द की साजिश को आघात के अलावा किसी को कोई नुकसान नहीं

गौरतलब है कि, नागरिकता कानून के खिलाफ शाहीन बाग में चल रहे प्रदर्शन के कारण आम लोगों को हो रही परेशानी के मद्देनजर शीर्ष अदालत ने दो वार्ताकारों-संजय हेगड़े और साधना रामचंद्रन ने प्रदर्शनकारियों से बातचीत शुरू की है। इस बातचीत के दौरान यह बात स्पष्ट हो गयी कि, पूरा विरोध प्रदर्शन ही बेबुनियाद है, क्योंकि नागरिकता कानून में ऐसा कुछ भी नहीं है, जिससे भारतीय नागरिकों के हितों को नुकसान पहुंचता हो और एनआरसी की अभी कहीं कोई चर्चा ही नहीं है, और वो भी राजीव गांधी की पहल और सुप्रीम कोर्ट के सख्त आदेश पर सिर्फ असम के लिए हुआ था। इसलिए उसका डर काल्पनिक है। दरअसल नागरिकता कानून से जिन ताकतों को अपनी गजवा-ए-हिन्द वाली साजिश नाकाम होती दिख रही थी, उन्होंने ही ये सारी दलीलें और अंदेशे गढ़े थे। ऐसे लोग कभी कोई गंभीर बहस कर ही नहीं सकते। शोर-शराबा ही इनका हथियार है और कवच भी। यही वजह थी कि, शाहीन बाग में वार्ताकारों का मान रखने के लिए एक रास्ता खोलने के तुरंत बाद ही जाफराबाद मेट्रो स्टेशन बंद करा दिया गया, देश बदनाम होता रहे, अस्थिरता पैदा होती रहे और अपनी पोल भी न खुले।

सुरक्षा की चिंता किये बगैर आधी रात को जाफराबाद पहुंची मुस्लिम महिलाएं

इसी योजना के तहत बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय की महिलाएं आधी रात को जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के नीचे से गुजरने वाली सड़क पर बैठ गयीं और सीएए-एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन शुरू कर दिया। शाहीन बाग में सुरक्षा को मुद्दा बनाने वाली महिलाओं के लिए आधी रात को जाफराबाद पहुंचने कोई असुरक्षा महसूस नहीं हुई। जाफराबाद में महिला पुलिसकर्मियों को भी तैनात कर दिया गया है।

पुलिस ने किया हल्का बल प्रयोग, मेट्रो स्टेशन बंद

रिपोर्ट के मुताबिक आधी रात को प्रदर्शनकारी महिलाएं सीलमपुर रेड लाइट से जाफराबाद मेट्रो स्टेशन की ओर कूच कीं और जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के नीचे सड़क पर बैठ गयीं।सूचना मिलने पर पहुंची पुलिस ने पहले तो उन्हें समझाने की कोशिश की, लेकिन न मानने पर हल्का बल प्रयोग कर खदेड़ दिया। लेकिन महिलाएं कभी गली में तो सड़क पर आ कर नारेबाजी करती रहीं। इस बीच पुलिस ने प्रदर्शनकारियों द्वारा मेज से बनाये गये एक छोटे से मंच को तोड़ दिया। बहरहाल जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के नीचे चल रहे प्रदर्शन की वजह से मेट्रो स्टेशन को बंद कर दिया गया है। अब लोग इस मेट्रो स्टेशन से मेट्रो की सेवाएं नहीं ले पायेंगे। यहां पर मेट्रो गेट के दरवाजे बंद कर दिय गये हैं। प्रदर्शन में बड़ी तादाद में बुर्का पहनीं औरतें शामिल हैं। इन्होंने कैंडल जलाये और सीएए के खिलाफ नारेबाजी की। हालांकि रात बढ़ने के साथ भीड़ कम होती गयी और पुलिस की संख्या भी कम हो गयी।

प्रदर्शनकारियों ने सड़क जाम की

बहरहाल प्रदर्शनकारियों के सड़क पर बैठने की वजह से इधर से लोगों की आवाजाही बंद हो गयी है। प्रदर्शनकारी महिलाओं ने रोड संख्या 66 को जाम कर रखा है, ये सड़क सीलमपुर को मौजपुर और यमुना विहार से जोड़ती है। प्रदर्शनकारी महिलाओं ने बताया कि शाहीन बाग की तरह वे भी सीएए और एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन करेंगी। हाथ में तिरंगा लिये महिलाओं ने आजादी के नारे लगाते हुए कहा कि वे तब तक प्रदर्शनस्थल से नहीं हटेंगी, जब तक कि केंद्र सरकार सीएए को रद्द नहीं कर देती है।

बांहों पर नीला बैंड और जय भीम का नारा

प्रदर्शन में शामिल कई महिलाओं ने अपनी बांह पर नीला बैंड लगा रखा था और जय भीम का नारा लगा रही थीं। बता दें कि संविधान निर्माता बाबा साहेब भीम राव आंबेडकर के अनुयायी नीली पोशाक और नीला झंडा लगाते हैं। उल्लेखनीय है कि, भीम आर्मी प्रमुख चन्द्रशेखर रावण ने दावा किया है कि, यह प्रदर्शन उनके ही आह्वान पर किया जा रहा है। उन्होंने रविवार को भारत बंद का आह्वान भी किया है। वैसे इस आंदोलन में आम्बेडकर का नाम भी महज बहुसंख्यकों में फूट डालकर उन्हें विभाजित करने की साजिश के तहत लिया जा रहा है। अन्यथा दारुल हर्ब को दारुल इस्लाम में तब्दील करने के इरादों के प्रति डाक्टर आम्बेडकर के विचार किसी से छिपे नहीं हैं।

प्रदर्शनस्थल पर सुरक्षा बढ़ायी गयी

महिलाओं के प्रदर्शन को देखते हुए इलाके में महिला पुलिसकर्मियों सहित बड़ी संख्या में सुरक्षा बल को तैनात किया गया है। जाफराबाद में ऐसे समय में प्रदर्शन शुरू हुआ है जब शाहीन बाग में सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों ने एक सड़क को खाली कर दिया है। शाहीन बाग में सड़क खुलवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त वार्ताकार लगातार कोशिश कर रहे हैं।

सीलमपुर में प्रदर्शन के दौरान भड़की थी हिंसा

गौरतलब है कि सीलमपुर में सीएए के खिलाफ पहले भी हिंसा हो चुकी है। यहां सीएए के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों ने गाड़ियां जला दी थीं और कई स्थानों पर तोड़ फोड़ की थी। सीलमपुर में सीएए के खिलाफ एक प्रदर्शन पहले से ही चल रहा है। यहां भी हरदम प्रदर्शनकारियों की मौजूदगी रहती है। अब जाफराबाद में ये नया प्रदर्शन शुरू हो गया है।

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