प्रवासी मजदूरों के गृह राज्य लौटने का न तो सिलसिला कम हुआ है और ना ही बेचैनी। उनको समझ आ गयी है इस कोरोना संकट काल मे कि जिन महानगरों और शहरों को उन्होने अपने खून पसीने से सोचा था वे बेवफा निकले। लौटो अपने गांव की ओर वहां रोटी और शरण दोनो मिलेगी।
हरियाणा, पंजाब, दिल्ली के बाद गुजरात के राजकोट में भी घर जाने की मांग को लेकर प्रवासी मजदूर सड़क पर उतर आए। शापर-वेरावल हाईवे पर रविवार को परिवहन न मिलने से क्षुब्ध मजदूरों ने जमकर हंगामा किया. आक्रोश मे इन श्रमिकों ने तोडफोड़ की और कई वाहनों को क्षतिग्रस्त कर दिय। इस दौरान मजदूरों को शांत कराने की कोशिश में राजकोट के पुलिस अधीक्षक बलराम मीणा के अलावा पत्रकार और पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं। काफी मशक्कत के बाद मजदूरों को घर भेजने का आश्वासन देकर प्रशासनिक अधिकारियों ने किसी तरह शांत कराया।
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बताया जाता है कि 500 से अधिक मजदूर अपने गृह राज्य जाने के लिए निकले थे । जब ये निर्धारित स्थान पर पहुंचे तो परिवहन के किसी भी साधन की व्यवस्था नहीं थी. मजदूरों का धैर्य जवाब दे गया और वे हंगामा करने लगे.। प्रवासी मजदूरों ने तोड़फोड़ शुरू कर दी। मजदूरों के हंगामा करने की सूचना पाकर पुलिस अधीक्षक बलराज मीणा इन्हें समझाने के लिए मौके पर पहुंचे थे। तोड़फोड़ के दौरान उन्हें भी चोट आई।