कोरोना संक्रमण की जांच के लिए बिलासपुर में वायरलॉजी पैथलैब (संक्रमण जांच लैब) सात दिन बीतने के बाद भी नहीं खुल पाने पर हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी की। यहां तक कह दिया कि हमें चीफ सेक्रेटरी (chief secretary) का पावर दे दिया जाए, तो एक दिन में लैब खोल देंगे। चीफ सेक्रेटरी के पास इतना

पावर( power) होता है। वहीं कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार के जवाब से भी नाराजगी जताई। कहा कि राज्य सरकार अगर चाहे तो एक दिन में लैब (lab )चालू कर सकती है। मामले की सुनवाई जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और जस्टिस गौतम भादुड़ी की विशेष खंडपीठ ( special bench) में हो रही थी।

राज्य शासन के ओर से महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा ने बताया कि कोर्ट के निर्देश पर स्वास्थ्य सचिव और एम्स डायरेक्टर की बैठक में पता चला कि सिम्स ( sims)में लैब खोलने के लिए आवश्यक मशीन नहीं है। बिलासपुर में आरबी अस्पताल में व्यवस्था है, लेकिन वह भी प्राइवेट है। इस जवाब को सुनने के बाद कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त की। कहा कि राज्य और केंद्र सरकार इस पर निर्णय लें कि बिलासपुर में कोरोना टेस्टिंग लैब खुलवाएंगे या नहीं।

सुनवाई के दौरान न्यायमित्र प्रफुल्ल एन भारत ने कोर्ट ( court)में कहा कि आरबी अस्पताल के पास लैब खोलने की व्यवस्था है। इस अस्पताल को राज्य सरकार अधिग्रहित कर लैब की स्थापना कर सकती है। सुनवाई के दौरान यह भी कहा गया कि बिलासपुर के आरबी हॉस्पिटल ( hospital)में कोविड-19 के वायरोलॉजी लैब के लिए सुविधा है।

कोर्ट इस बात से दुखी हुआ कि चाहे तो राज्य सरकार कभी भी जांच सुविधा शुरू कर सकती है।

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