अफगानिस्तान में अमेरिका को तालिबान से एक और बड़ा खतरा पैदा हो गया है. तालिबान ने खुफिया जानकारी से लैस अमेरिकी मिलिट्री की बायोमेट्रिक डिवाइसेस को अपने कब्जे में ले लिया है. इन डिवाइस में अमेरिकी सेना और उन अफगानी नागरिकों की जानकारी है, जिन्होंने युद्ध में अहम भूमिका अदा की थी. तालिबान के हाथ कौन-कौन सी डिवाइस लगी है, इस बात को लेकर अमेरिका की भी चिंता बढ़ गई है. इससे साफ लगता है कि तालिबान के हाथ बहुत बड़ा राज लग गया है.

इन डिवाइस में अमेरिकी सैनिकों और अफगानी लोगों की आंखों का स्कैन, फिंगर प्रिंट और बायोलॉजिकल जानकारी है. इस डाटा का इस्तेमाल बड़े डाटाबेस के रूप में होता है. हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि डाटा खतरे में है. डिवाइस का नाम हैंडहेल्ड इंट्राएजेंसी आइडेंटिटी डिटेक्शन इक्विपमेंट (HIIDE) है. अफगानिस्तान में अमेरिका ऐसे बायोमेट्रिक्स का इस्तेमाल आतंकियों पर नज़र रखने के लिए करता था.

अमेरिकी दूतावासों और गठबंधन सरकार के लिए काम करने वाले अफगान नागरिकों को भी इस डेटाबेस में शामिल किया गया था. अमेरिका ने 2011 में ओसामा बिन लादेन के ठिकानों पर छापेमारी की थी. इस दौरान उसके पाकिस्तानी ठिकाने पर छापेमारी के दौरान लादेन की पहचान करने के लिए बायोमेट्रिक्स का इस्तेमाल किया था. वैसे बता दे कि तालिबान के पास वैसे संसाधन और तकनीक मौजूद नहीं है कि वो डिवाइजेस की हर जानकारी निकाल सके. लेकिन डर है कि कहीं तालिबान का रहनुमा बना पाकिस्तान और उसका खुफिया संगठन ISI इसमें उसकी मदद ना कर दें.

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