नई दिल्ली। दिल्ली की वरिष्ठ नेता और कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता अलका लांबा ने पिछले दिनों किसान आंदोलन को लेकर आलोचन करने के दौरान पहले तो शब्दों की मर्यादा तोड़ी फिर उन्होंने मुहावरे में भी गलत तथ्य डाल दिए। दरअसल, नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा शुक्रवार को गुरुनानक जयंती पर तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को वापस लेने के साथ निरस्त करने का जो ऐलान किया गया, इसको लेकर कांग्रेस नेता अलका लांबा ने ट्वीट किया- ‘ अब तो लगता है अपने भी धीरे धीरे प्रधानमंत्री मोदी जी का साथ छोड़ने लगे हैं और एक दूसरे से सहानुभूति दिखाते दिखाई पड़ रहे हैं… आज वो कहावत याद आ रही है.. धोबी का गधा न घर का न घाट का।’ वहीं, सही मुहावरा है ‘धोबी का कुत्ता न घर का न घाट का’।
इसका मतलब यह है कि जब धोबी का कुत्ता धोबी घाट पर जाता है तो वह भी उसके साथ साथ चला जाता है और अपने मालिक के घर आने पर वह भी अपने घर आ जाता है। इस दौरान उसका कोई काम नहीं होता है, क्योंकि धोबी कपड़े लाने और ले जाने के लिए गधे का इस्तेमाल करता है। इस तरह से धोबी का कुत्ता कभी घाट पर तो कभी अपने घर मे रहता है। ऐसे में कुत्ता का स्थान न तो धोबी के घर पर होता है और न ही घाट पर। ऐसे में अलका लांबा ऐसा ट्वीट करके क्या साबित कर रही हैं, यह समझ से परे है।
इसके अलावा, अलका लांबा ने उत्तराखंड में अरविंद केजरीवाल के उस ऐलान पर कटाक्ष किया है, जिसमें उन्होंने हिंदू श्रद्धालुओं को अयोध्या दर्शन कराने के साथ ही मुस्लिमों के लिए खास बात कही। अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मुस्लिम भाइयों के लिए अजमेर शरीफ और सिख भाइयों के लिए करतारपुर का प्रावधान रखेंगे। हमारी पहली पार्टी है कि जनता से आकर कहती है, आप हमें वोट दो हम आपका लोक भी सुधारेंगे और परलोक भी। अरविंद केजरीवाल ने रविवार उत्तराखंड में चुनाव से पहले बड़ा ऐलान किया और कहा कि अगर राज्य में आप की सरकार बनती है तो अयोध्या में मुफ्त के दर्शन कराए जाएंगे। इस पर अलका लांबा ने ट्वीट किया है- ‘सर जी, क्रिश्चियन को क्यों भूल गए ?? वैसे दिल्ली में आज कल AAP के फ्री दर्शन जनता को मुश्किल हो रहे हैं।’
गौरतलब है कि विवादित बयान के चलते कई बार अलका लांबा मुश्किल में फंस चुकी हैं। पिछले साल प्रधानमंत्री मोदी और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ अभद्र टिप्पणी करने के आरोप में कांग्रेस नेता अलका लांबा के खिलाफ लखनऊ में एफआइआर दर्ज कराई गई है। अलका लांबा पर उत्तर प्रदेश राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य प्रीति वर्मा की तरफ से लखनऊ के हजरतगंज थाने में एफआईआर दर्ज करवाई गई है।
प्रीति वर्मा ने एफआइआर दर्ज कराते हुए आरोप लगाया था कि अलका लांबा ने अपने ट्विटर पर एक वीडियो अपलोड कर पीएम मोदी और सीएम योगी के लिए अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया। साथ ही एक दूसरे ट्वीट में भ्रामक आरोपों के साथ उच्च न्यायालय के न्यायाधीश पर भी सवाल खड़े किए, जो कोर्ट की अवमानना के अंतर्गत आता है।