विशेष संवाददाता
कहते हैं आवश्यकता आविष्कार की जननी होती है और एक फौजी से ज्यादा बुलेट प्रूफ हेलमेट की जरूरत कौन समझ सकता है? कश्मीर समेत तमाम मोर्चों पर भारतीय सेना के जांबाजों को तमाम तरह के ख़तरों से जूझना पड़ता है। सामने दुश्मन की फौज हो या आतंकवादी, दुश्मन की गोलियों से अपने जवानों को बचाना हमेशा से ही एक बड़ी चुनौती रही है। यही वजह है कि, मेजर अनूप मिश्रा ने दुनिया का पहला ऐसा बुलेट प्रूफ हेलमेट बनाया है, जिसे एके-47 राइफल से दस मीटर दूर से चलायी गयी गोली भी भेद नहीं सकती। इसके पहले वह ऐसी ही बुलेट प्रूफ जैकेट भी बना चुके हैं, जो स्नाइपर राइफल की गोलियों से सुरक्षा प्रदान करती है।
स्नाइपर की गोलियों से बचाने वाली बुलेट प्रूफ जैकेट भी बनायी
भारतीय सेना के अफसरों ने यह जानकारी देते हुए बताया कि, मेजर अनूप मिश्रा ने ‘अभेद प्रोजेक्ट’ के तहत बैलिस्टिक हेमलेट का निर्माण किया है। इसी के तहत उन्होंने फुल बाडी प्रोटेक्शन बुलेट प्रूफ जैकेट का निर्माण भी किया था, जिसे स्नाइपर राइफल की दस मीटर दूर से चलायी गयी गोलियां भी नहीं भेद सकतीं। अनूप मिश्रा भारतीय सेना के कालेज आफ मिलिट्री इंजीनियरिंग में कार्यरत हैं।
आर्मी डिजाइन एक्सीलेंस अवार्ड से सम्मानित हो चुके हैं मेजर अनूप मिश्रा
इसके पूर्व जब मेजर अनूप मिश्रा जम्मू और कश्मीर में तैनात थे, तब एक आपरेशन के दौरान वह गोली के शिकार हो गये थे। उस समय उन्होंने बुलेट प्रूफ जैकेट पहन रखी थी, इसलिए गोली उनके शरीर को भेद तो नहीं सकी, लेकिन उस पर अपना निशान जरूर छोड़ दिया था। उस घटना के बाद उन्होंने नयी बुलेट प्रूफ जैकेट बनाने का फैसला किया था। इसके लिए तत्कालीन सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत ने मेजर अनूप मिश्रा को आर्मी डिजाइन एक्सीलेंस अवार्ड से सम्मानित भी किया था।
इसके अलावा पुणे के कालेज आफ मिलिट्री इंजीनियरिंग ने एक निजी फर्म के साथ मिलकर दुनिया के सबसे सस्ते गन शाट लोकेटर का निर्माण भी किया है, जिसकी मदद से 400 मीटर की दूरी पर गोली के सटीक स्थान का पता लगाया जा सकता है। इससे आतंकवादियों के खिलाफ अभियानों में काफी मदद मिलने की उम्मीद है।