नई दिल्ली ( एजेंसी)। भारत दौरे पर आए अफगानिस्तान के मुख्य वार्ताकार अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने शनिवार को भारत के परिप्रेक्ष्य में बड़ी बात कही। उन्होंने कहा, तालिबान के साथ अफगानिस्तान सरकार का कोई भी समझौता भारत के सुरक्षा हितों की कीमत पर नहीं होगा। समझौते में भारत के सुरक्षा हितों का ध्यान रखा जाएगा। यह बात भारत को तय करनी है कि वह तालिबान से संबंध बनाता है या नहीं।
अब्दुल्ला की अफगान सरकार में राष्ट्रपति अशरफ गनी के बाद नंबर दो की हैसियत है और वह तालिबान के साथ चल रही शांति वार्ता में सरकार की ओर से मुख्य वार्ताकार हैं। अब्दुल्ला ने कहा, यह हमारे हित में भी नहीं है कि कोई आतंकी संगठन अफगानिस्तान में जड़ें जमाए। तालिबान के साथ समझौता वही होगा जो अफगानिस्तान के लोगों को स्वीकार्य होगा। समझौता सम्मानजनक, व्यावहारिक और टिकने वाला होना चाहिए।
अगर यह समझौता टिकाऊ नहीं हुआ तो सभी आतंकी संगठन पहाड़ों, घाटियों और रेगिस्तान में जा बसेंगे और अफगानिस्तान व बाकी देशों पर हमले करेंगे। अब्दुल्ला ने कहा, समस्या का शांतिपूर्ण समाधान भारत सहित सभी देशों के सुरक्षा हितों को ध्यान में रखकर किया जाएगा। भारत ऐसा देश है जिसने अफगानिस्तान की हमेशा मदद की है। यह अफगानिस्तान का दोस्त है। व्यक्तिगत रूप से मैं शांति प्रक्रिया में भारत की सहभागिता को प्रोत्साहित करता हूं।
तालिबान से चल रही वार्ता के दौर में भारत को यह आशंका सता रही है कि पाकिस्तान के प्रभाव वाले तालिबान को यदि फिर से अफगानिस्तान की सत्ता में भागीदारी मिल गई तो भारत में सीमापार से होने वाली आतंकी गतिविधियों में बढ़ोतरी हो सकती है। भारत की अपनी पांच दिनों की यात्रा में अब्दुल्ला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से वार्ता की। भारत ने अफगानिस्तान की शांति प्रक्रिया को पूरा समर्थन देने का एलान किया है।