नयी दिल्ली: जम्मू कश्मीर के दो पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती पर पब्लिक सेफ्टी एक्ट मतलब पीएसए लागू किया गया है। अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से ही दोनों पूर्व मुख्यमंत्री नज़रबंद थे लेकिन पीएसए लागू होने के साथ दोनों नेताओं को बिना ट्रायल के तीन महीने की जेल भी हो सकती है। इस कदम के बाद राजनितिक पार्टियों गुस्से में हैं और सरकार के इस कदम को लोकतंत्र की हत्या बता रहे हैं।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम ने सरकार के इस कदम की आलोचना करते हुए कहा कि बिना किसी आरोप के कार्रवाई करना लोकतंत्र में एक घटिया कदम है। उन्होंने ट्वीट किया, ”उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती और अन्य के खिलाफ पीएसए की क्रूर कार्रवाई से हैरान हूं। आरोपों के बिना किसी पर कार्रवाई लोकतंत्र में सबसे घटिया कदम है।” 

चिदंबरम ने सवाल किया, ”जब अन्यायपूर्ण कानून पारित किए जाते हैं या अन्यायपूर्ण कानून लागू किए जाते हैं, तो लोगों के पास शांति से विरोध करने के अलावा क्या विकल्प होता है?” दरअसल, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती की छह महीने की एहतियातन हिरासत पूरी होने वाली थी।

हिरासत पूरी होने से महज कुछ घंटे पहले बृहस्पतिवार (छह फरवरी) को उनके खिलाफ जन सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत मामला दर्ज किया गया। इससे पहले दिन में नेशनल कॉन्फ्रेंस के महासचिव और पूर्व मंत्री अली मोहम्मद सागर और पीडीपी के वरिष्ठ नेता सरताज मदनी पर भी पीएसए लगाया गया।

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