गलत कार्यों के जरिए माफिया बनने के बावजूद हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे पर कार्रवाई न करने वाले तत्कालीन बिल्हौर एसडीएम व तहसीलदार पर भी कार्रवाई होगी। एसआईटी ने 2005 से 2018 तक के तहसीलदार व अफसरों का ब्योरा तलब किया है। प्रशासन जल्द ही पूरी जानकारी करके शासन को भेजेगा। एसआईटी ने विकास दुबे के वर्चस्व का बढ़ने के लिए अफसरों को भी जिम्मेदार ठहराया है।
विकास के काले कारनामे दिन-प्रतिदिन बढ़ने के बावजूद बिल्हौर में तैनात अफसरों ने कोई कार्रवाई नहीं की। उल्टा उसकी मनमानी पर मुंह मोड़े रहे। एसआईटी ने अपनी जांच में लेखपाल और नायब तहसीलदार के बाद अफसरों को भी दोषी माना है। टीम ने 2005 से 2018 तक तैनात रहे अफसरों की जानकारी, वर्तमान तैनाती और उनके कार्यकाल की जानकारी मांगी है।
इसके साथ ही उनकी तैनाती के दौरान छवि के बारे में भी पूछा है। शासन ने एक हफ्ते में पूरा ब्योरा मांगा है जिसे अफसरों तैयार कर रहे हैं। इससे पहले विकास का असलहा लाइसेंस का नवीनीकरण करने वाले तत्कालीन एडीएम फाइनेंस भी कार्रवाई की जद में आ चुके है। वर्तमान एडीएम फाइनेंस वीरेंद्र पांडेय ने बताया कि शासन ने बिल्हौर में तैनात रहे अफसरों की जानकारी मांगी है।
पहले कार्रवाई होती तो बच जाता बिकरू कांड
एसआईटी ने माना कि विकास दुबे के अपराधों पर अफसरों ने पर्दा डाला। अगर उस पर पहले ही कार्रवाई हो गई होती तो बिकरू कांड होने से बच जाता। इसलिए इस प्रकरण के लिए अफसर भी बरामद के दोषी हैं। जल्द ही बिल्हौर में तैनात रहे अफसरों पर बड़ी कार्रवाई हो सकती है।