अनिता चौधरी
राजनीतिक संपादक,
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में रविवार देर शाम हुई हिंसा को लेकर काँग्रेस ने मोदी सरकार और दिल्ली प्रशासन को सवालों के कटघरे में खडा कर दिया है । कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला और जयवीर शेरगिल ने इस पूरी हिंसा पर मोदी सरकार से पांच सवाल पूछे हैं । काँग्रेस ने विश्वविद्यालय परिसर में घुसे नकाबपोश लोगों की बीजेपी सरकार के साथ सांठ गांठ के भी आरोप लगाए है ।
काग्रेस ने सवाल किया है कि
- आखिर ये नकाबपोश हमलावर कौन थे?
यूनिवर्सिटी में खुलेआम घूमते और तोड़फोड़ करते नकाबपोशों की तस्वीरें सामने आ चुकी हैं। ये लोग दिन की रोशनी में डंडे लेकर घूमते दिखे। लेकिन ये नकाबपोश कौन थे और कहां से आए थे इसका जवाब दिल्ली पुलिस और जेएनयू प्रशासन को जल्द से जल्द सामने लाना होगा।
- कैंपस में कैसे घुसे ये लोग?
जेएनयू के गेट पर कड़ी सुरक्षा रहती है, कोई भी बाहरी शख्स कैंपस में आसानी से दाखिल नहीं हो सकता है। स्टूडेंट्स को भी आई कार्ड देखने के बाद ही एंट्री मिलती है। अगर ये लोग बाहरी थे तो इतनी बड़ी तादाद में लाठी-डंडों और रॉड के साथ कैसे और कहां से यूनिवर्सिटी में घुस आए। इसका जवाब यूनिवर्सिटी प्रशासन को देना ही होगा। - यूनिवर्सिटी की सिक्यॉरिटी क्या कर रही थी?
इतनी देर तक कैंपस के अंदर हंगामा और स्टूडेंट्स के साथ मारपीट होती रही, इस दौरान यूनिवर्सिटी प्रशासन क्या कर रहा था। खासतौर से कैंपस में बड़ी तादाद में सिक्यॉरिटी गार्ड्स तैनात रहते हैं, वे सब इस दौरान क्या कर रहे थे। उन्होंने हमलावरों को रोकने या पकड़ने की कोशिश क्यों नहीं की ?
- 4 बजे से पीसीआर कॉल होने के बाद भी पुलिस ऐक्शन में क्यों नहीं आयी?
पुलिस के मुताबिक जेएनयू से शाम 4 बजे से ही पीसीआर कॉल्स आनी शुरू हो गई थीं। पुलिस को 90 से ज्यादा पीसीआर कॉल्स की गईं। स्टूडेंट्स का आरोप है कि अगर यूनिवर्सिटी प्रशासन और पुलिस पहले ऐक्शन में आ जाती घटना को कंट्रोल किया जा सकता था।
कांग्रेस का पांचवां सवाल है कि आखिर
- इस तरह की घटनाएं उन्हीं विश्वविद्यालय में क्यों हो रही हैं जो इस सरकार से सवाल कर रही है और उसका विरोध कर रही है ? पीसीआर कॉल होने के बाद भी पुलिस ऐक्शन में क्यों नहीं आयी?
गौरतलब है कि जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) में रविवार शाम बड़ी हिंसा हुई। लाठी-डंडे, हॉकी स्टिक से लैस नकाबपोश हमलावरों ने यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स और टीचरों को बेरहमी से पीटा। इसमें 25 से ज्यादा छात्र-टीचर घायल हो गए। मामले में फिलहाल दिल्ली पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की है।दिल्ली पुलिस की जांच में क्या निकल कर आता है ये भी देखना होगा। नकाबपोश हमलावरों ने साबरमती हॉस्टल समेत कई बिल्डिंग में जमकर तोड़फोड़ की। हालांकि रजिस्ट्रार की सलाह पर स्टूडेंट्स ने कई बार 100 नंबर डायल किया। पीसीआर को 90 से ज्यादा कॉल मिलीं। लेकिन स्टूडेंट्स का आरोप है कि कई कॉल करने के बावजूद पुलिस देरी से पहुंची और हिंसा रोकने के बजाय चुप रही। जेएनयू के टीचरों ने विश्वविद्यालय के गेट के पास मीडिया से बात की। उन्होंने कहा कि बात-बात पर ऐक्शन लेने वाला प्रशासन चुप है। ऐसे हालात में हम खुद को कैसे सेफ समझ सकते हैं।
जेएनयू के छात्र विश्वविद्यालय के कुलपति के रैवैये से भी नाखुश हैं और उनके इस्तीफ़े की मांग कर रहे हैं । इसी बाबत जेएनयू छात्रसंघ आज 3 बजे एक प्रेस कॉन्फ्रेंस भी करने जा रहा है ।