बौखलाहट की छापामारी

विजया पाठक

इन्दौर। प्रदेश की कमलनाथ सरकार ने पत्रकारों पर कुठाराघात का एक और नमूना पेश किया है। हनीट्रेप मामले में कुछ पूर्व मंत्री, नेताओं और आला अफसरों के वीडियो वायरल करने वाले इंदौर के निवासी ‘लोकस्वामी’ अखबार के मालिक जीतेन्द्र सोनी के घर, ऑफिस और होटल में ताबडतोड़ छापेमारी करवाकर कमलनाथ सरकार ने अपनी बौखलाहट जाहिर की है। रविवार को इंदौर में योजनाबद्ध तरीके से पुलिस ने प्रशासन, आबकारी, निगम, नारकोटिक्स समेत 9 विभागों के साथ छापा मारा। इस कार्रवाई से प्रदेश की कांग्रेसनीत कमलनाथ सरकार ने मीडिया पर फिर इमरजेंसी लगा दी।

वैसे भी कांग्रेस का इमरजेंसी लगाने का पुराना नाता रहा है। मीडिया पर इस तरह से की गई कार्रवाई से पूरे देश में कमलनाथ सरकार की थू-थू हो रही है और इसे लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर प्रहार बताया जा रहा है। यहां एक बात बताना जरूरी है कि जीतेंद्र सोनी एक अखबार का प्रकाशन करते हैं और उनक पास सबूतों के साथ जो सामग्री है उसे ही प्रकाशित किया है। जिन-जिन के भी वीडियो वायरल हुए है उसमें निजता का भी बकायदा ख्याल रखा गया है यानि विलर करके फुटेज दिखाए गये हैं। ऐसी स्थिति में अखबार ने कौन से कानून का उल्लंघन किया है। यह सरकार की सोची समझी साजिश है और मीडिया पर अंकुश लगाने का प्रयास है। सबूतों के साथ खबरों को प्रकाशित करने का मीडिया संस्थानों का कर्तव्य भी है और अधिकार भी। यही जीतेंद्र सोनी ने किया।
यहां एक बात का जिक्र करना भी आवश्यक है। कमलनाथ सरकार के एक वरिष्ठ आइएएस अफसर जो प्रशासन में उच्च पद पर आसीन है, उसके कहने पर ही अखबार को हनीट्रेप में फंसे लोगों की सीडिया उपलब्ध कराई गई थीं और सौदा तय हुआ था कि उक्त अफसर का नाम उजागर नहीं होना चाहिए। लेकिन सरकार के एक उच्च अधिकारी को डर सताने लगा कि कहीं उसकी सीडी न उजागर हो जाए। इसी डर के चलते वह अधिकारी सीएम कमलनाथ के पास गया और बोला यदि बाजार में सीडिया आने का क्रम बंद नही कराया तो मैं आत्मदाह कर लूंगा। सीएम उस अधिकारी के आगे झुक गए और आनन-फानन में छापा पड़वा दिया।
मैं भी एक मीडियाकर्मी हूं। मुझे यह खबर लगते ही बहुत दु:ख हुआ। सोचने पर मजबूर हुई और सरकार की मंशा पर संदेह हुआ। सिर्फ जीतेन्द्र सोनी ही नहीं इस सरकार की कारगुजारियों से बहुत जीतेन्द्र सोनी त्रस्त हैं। उनमें मैं भी शामिल हूं। हाल ही में मैंने भी सच्चाई के साथ सीएम कमलनाथ को लेकर दो बड़ी स्टोरीज प्रकाशित की हैं। जिन पर भी काफी बबाल मचा था। अंतत: मुझे भी दबाने की कोशिश की गई। अंत में प्रदेश के प्रभारी जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा ने जनसंपर्क के एक प्रमुख अधिकारी से कहा कि विजया पाठक को जनसंपर्क विभाग से मिलने वाली सारी सुविधाएं और जगत विजन पत्रिका को मिलने वाले सारे विज्ञापन तत्काल रोक दें।

जनसंपर्क मंत्री का कहना था कि यह सीएम के कहने पर हो रहा है। यानी मीडिया की आवाज को सरकार इस तरह से रोक रही है।

जीतेंद्र सोनी के ठिकानों पर पड़े छापे से कई सवाल खड़े हो रहे हैं। यह कार्रवाई जिस अंदाज में की गई है उससे पुलिस और प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं। हनीट्रेप से जुड़ी सीडिया तो पहले से ही जारी हो रही थी तो हरभजन का नाम उजागर होने के बाद क्यों कार्रवाई की गई? दूसरी जब होटल में गैर कानूनी काम हो रहे थे तो अभी तक पुलिस क्या कर रही थी। जब सीडिया बाजार में आई तब क्यों पुलिस ने कार्रवाई की। हनीट्रेप के खुलासे के बाद पुलिस और अन्य विभागों की सक्रियता क्यों बढ़ी। ऐसे कई सवाल है जो बदले की कार्रवाई की ओर इशारा कर रहे हैं। इशारा ही नहीं पूरी तरह बदले की कार्रवाई है ताकि और नकाबपोश उजागर न हों। अभी तक जो सारे विभाग सो रहे थे वह एक साथ सब के सब जाग गए और कमियां ही कमियां दिखीं।

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