क्रैश साइट से 750 मीटर दूर नासा ने तलाशे तीन टुकड़े
नई दिल्ली। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर को लेकर बड़ा खुलासा किया है। नासा ने ट्वीट कर जानकारी दी है कि उसके लूनर रिकनैसैंस ऑर्बिटर ने चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर को ढूढ़ लिया है।
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन नासा ने चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर को लेकर बड़ा खुलासा किया है। नासा ने ट्वीट कर जानकारी दी है कि उसके लूनर रिकनैसैंस ऑर्बिटर (LRO) ने चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर को ढूढ़ लिया है।
नासा के दावे के मुताबिक चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर का मलबा उसके क्रैश साइट से 750 मीटर दूर मिला। मलबे के तीन सबसे बड़े टुकड़े 2×2 पिक्सेल के हैं। NASA ने रात करीब 1:30 बजे विक्रम लैंडर के इम्पैक्ट साइट की तस्वीर जारी की और बताया कि उसके ऑर्बिटर को विक्रम लैंडर के तीन टुकड़े मिले हैं।
नासा के मुताबिक विक्रम लैंडर की तस्वीर एक किलोमीटर की दूरी से ली गई है। इस तस्वीर में सॉइल इम्पैक्ट भी देखा गया है। तस्वीर साफ तौर पर देखा जा सकता है कि चांद की सतह पर जहां विक्रम लैंडर गिरा वहां सॉइल डिसटर्बेंस (मिट्टी को नुकसान) भी हुआ है।
गौरतलब है कि भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने नासा से संपर्क साधा है और विक्रम लैंडर के इम्पैक्ट साइट की जानकारी मांगी है। जानकारी के मुताबिक नासा इसरो को एक पूरी रिपोर्ट सौंपेगा जिसमें विक्रम लैंडर से संबंधित ज्यादा जानकारी मिल सकेगी।
इससे पहले अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने विक्रम के बारे में सूचना देने की उम्मीद जताई थी, क्योंकि उसका लूनर रिकनैसैंस ऑर्बिटर (एलआरओ) उसी स्थान के ऊपर से गुजरने वाला था, जिस स्थान पर भारतीय लैंडर विक्रम के गिरने की संभावना जताई गई थी।
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने इससे पहले कहा था कि उसका एलआरओ 17 सितंबर को विक्रम की लैंडिंग साइट से गुजरा था और उस क्षेत्र की हाई-रिजोल्यूशन तस्वीरें पाई थीं।
स्मरणीय है कि इससे पहले नासा के लूनर रिकनैसैंस ऑर्बिटर कैमरा (एलआरओसी) की टीम को लैंडर की स्थिति या तस्वीर नहीं मिल सकी थी। उस दौरान नासा ने कहा था, ‘जब लैंडिंग क्षेत्र से हमारा ऑर्बिटर गुजरा तो वहां धुंधलका था और इसलिए छाया में अधिकांश भाग छिप गया। संभव है कि विक्रम लैंडर परछाई में छिपा हुआ है। एलआरओ जब अक्टूबर में वहां से गुजरेगा, तब वहां प्रकाश अनुकूल होगा और एक बार फिर लैंडर की स्थिति या तस्वीर लेने की कोशिश की जाएगी।’
बीते अक्टूबर महीने की शुरुआत में विक्रम के उतरने के स्थान का नासा के अंतरिक्ष यान द्वारा उतारे गए चित्रों में लैंडर नहीं दिखाई दिया था। जिसके बाद यह कहा गया था कि नासा भी विक्रम लैंडर का पता नहीं लगा पाया। लेकिन सोमवार की रात नासा ने यह जानकारी दी कि उसे विक्रम लैंडर मिल गया है।
भारत के भारी रॉकेट, जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लांच व्हिकल-मार्क 3 ने 22 जुलाई को 978 करोड़ रुपये लागत का एक टेक्स्ट बुक स्टाइल का चंद्रयान-2 अंतरिक्ष में लांच किया था। चंद्रयान-2 अंतरिक्षयान में तीन हिस्से थे -ऑर्बिटर (2,379 किलोग्राम, आठ पेलोड), विक्रम (1,471 किलोग्रमा, चार पेलोड), और प्रज्ञान (27 किलोग्राम, दो पेलोड)।