काबुल। अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने भारत को उकसाते हुए अपनी एक सैनिक टुकड़ी का नाम पानीपत रख दिया है। इस सैनिक टुकड़ी का नाम पानीपत रखने के पीछे तालिबान की सोच ये है कि वो वर्ष 1761 में हुए पानीपत युद्ध की याद दिला कर, हिन्दू संस्कृति का अपमान कर सके। पानीपत के इस युद्ध में अफगानिस्तान से आए अहमद शाह अब्दाली की सेना ने मराठा सेनाओं को हरा दिया था और अब तालिबान भारत के 140 करोड़ लोगों को उसी युद्ध की यादें ताजा करवाना चाहता है।
लेकिन तालिबान सरकार ये भूल गई है कि आज की स्थिति में अफगानिस्तान की सेना, भारत की सेना के सामने दो घंटे भी नहीं टिक पाएगी। आज हम आपको बताएंगे कि आज से डेढ़ हजार साल पहले कैसे भारत की सीमाएं अफगानिस्तान के पार, ईरान तक लगती थीं और एक जमाने में अफगानिस्तान पर हिन्दू राजाओं का शासन होता था। फिर जैसे-जैसे इस्लाम धर्म का उदय हुआ, वैसे-वैसे हमारा देश सिकुड़ते-सिकुड़ते अफगानिस्तान और ईरान से हट कर, वाघा बॉर्डर तक सिमट गया।
तालिबान सेना की नई ऑपरेशन यूनिट का गठन
अफगानिस्तान के नांगरहार प्रांत में तालिबान ने सेना की एक नई ऑपरेशन यूनिट का गठन किया है, जिसका नाम है, पानीपत. आम तौर पर तालिबान इस तरह की मिलिट्री यूनिट को इस्लामिक नाम देता है, लेकिन ये पहली बार है, जब उसने भारत के एक ऐसे स्थान के नाम पर अपनी सेना की यूनिट का नाम रखा है, जिसे वो अफगान लोगों के शौर्य और भारत की हार का प्रतीक मानता है। यानी आप कह सकते हैं कि तालिबान ने भारत को नीचा दिखाने और उसे उकसाने के लिए पानीपत नाम से सेना की ये ऑपरेशनल यूनिट बनाई है।
पानीपत में लड़े गए तीन युद्ध
पानीपत 56 वर्ग किलोमीटर में फैला हरियाणा का एक छोटा सा जिला है और भारत के इतिहास की नजर से ये बहुत ही महत्वपूर्ण जगह है। इस जगह पर भारत ने अपने इतिहास के तीन बड़े युद्ध लड़े, जिनमें पहला युद्ध वर्ष 1526, दूसरा युद्ध वर्ष 1556 और तीसरा युद्ध 1761 में लड़ा गया. और तालिबान ने 1761 में लड़ी गई पानीपत की तीसरी लड़ाई को ही आधार बना कर इस सैन्य टुकड़ी का गठन किया है।
पानीपत के युद्ध का अधूरा सच
इस लड़ाई में अफगानिस्तान के शासक अहमद शाह अब्दाली उर्फ अहमद शाह दुर्रानी ने मराठा साम्राज्य की सेना को हरा दिया था. और अफगानिस्तान मानता है कि ये लड़ाई, हिन्दू धर्म पर इस्लाम धर्म की सबसे बड़ी जीत थी। इस युद्ध को लेकर इतिहास की ज्यादातर किताबों में भी वही पक्ष लिखा गया है, जिसका महिमामंडन अफगानिस्तान द्वारा किया जाता है। लेकिन ये सच आधा अधूरा है और हम आपको इसका पूरा सच बताना चाहते हैं।
दरअसल, 18वीं शताब्दी में जैसे-जैसे भारत में मुगल शासन कमजोर हुआ, वैसे-वैसे कश्मीर, पंजाब और स्वात घाटी के कुछ इलाके अफगानिस्तान के नियंत्रण में चले गए और अहमद शाह अब्दाली ने दिल्ली को जीतने की पूरी योजना बना ली।