रोड ट्रांसपोर्ट सप्लाई श्रृंखला की महत्वपूर्ण कड़ी है. कोरोनाकाल में भी रोड ट्रांसपोर्ट सेक्टर (Road Transport Sector) के इस अहम योगदान की वजह से ही पूरे देश में सामानों की सप्लाई सामान्य रही. अब सरकार को इस सेक्टर और इससे जुड़े एक करोड़ रोजगार की चिंता करनी चाहिए. परिवहन क्षेत्र को “विशिष्ट दर्ज़ा” दिया जाना चाहिए।

हम उम्मीद करते हैं सालों से लंबित मांगों को जो कि सरकार ने विभिन्न स्तर पर मां लिया गया था उसे बजट में पारित करेगी।

आईटी अधिनियम के सेक्सन 194 सी और 194 एन के तहत सड़क परिवहन क्षेत्र से टीडीएस का खत्म किया जाना चाहिए.

जीएसटी के आने के बाद अधिनियम 194 सी के तहत टीडीएस बेमानी और अव्यवहारिक है.

 छोटे ऑपरेटरों से लाखों बेहिसाब टीडीएस के नाम पर कटौती होती हैं, जो न तो सरकारी खजाने से जमा होती हैं और न ही रिफंड का दावा किया जाता है.

 जिनकी कटौती की जाती है, उन्हें रिटर्न का दावा करने में 3 साल लगते हैं.

 एपीएमसी (APMC )और रोड ट्रांसपोर्ट सेक्टर का संचालन नकदी पर आधारित है. कृषि उपज विपणन कंपनियों (एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केटिंग कमेटी, Agricultural Produce Market Committee, APMC) की तरह, रोड ट्रांसपोर्ट सेक्टर को भी एक करोड़ रुपए से अधिक की वार्षिक नकद निकासी पर 2% TDS से छूट दी जानी चाहिए.

 आईटी एकट की धारा 44AE के तहत अनुमानित आयकर का युक्तिकरण करना. इसके तहत लगाया गया अनुमानित आयकर अव्यावहारिक, त्रुटिपूर्ण और तर्कहीन है. यह सकल वाहन भार पर आधारित है जबकि इसको वाहन के लादन क्षमता पर होना चाहिए.

 अनुमानित आय तर्कसंगत नहीं है, जहां वाहनों की विभिन्न क्षमता के लिए इसे 100% से 633% तक बढ़ाया गया है. यह जमीनी हकीकत के अनुसार नहीं है.

 गुड्स कैरीइंग व्हीकल्स और पैसेंजर कमर्शियल व्हीकल्स पर थर्ड पार्टी प्रीमियम पर जीएसटी को शून्य करना चाहिए

कुलतारण सिंह अटवाल अध्यक्ष आल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस

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