बिहार सरकार द्वारा जमानत के खिलाफ दायर सभी 40 याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज किया।
कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि शराबबंदी के मामलों ने अदालतों का दम घोंट रखा है।
कोर्ट ने कहा कि इन मामलों ने पटना हाईकोर्ट के कामों को रोक कर रखा है। इन मामलों के चलते हाईकोर्ट के 14 -15 जज केवल इन मामलों की ही सुनवाई कर रहे हैं।
नीतीश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में शराबबंदी कानून के तहत आरोपियों की अग्रिम और नियमित जमानत देने को चुनौती देने वाली याचिका दायर की थी।
कोर्ट ने बिहार सरकार की इस दलील को खारिज कर दिया कि आरोपियों से जब्त की गई शराब की मात्रा को ध्यान में रखते हुए कारण के साथ जमानत आदेश पारित करना सुनिश्चित करने के लिए दिशानिर्देश तैयार किए जाएं।
कोर्ट ने कहा कि आप जानते हैं कि इस कानून (बिहार मद्य निषेध और उत्पाद अधिनियम, 2016) ने पटना उच्च न्यायालय के कामकाज पर कितना प्रभाव डाला है और वहां एक मामले को सूचीबद्ध करने में एक साल लग रहा है तथा सभी अदालतें शराब से संबंधित जमानत मामलों से भरी पड़ी हैं।