अदालत ने आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में जांच के तहत केनरा बैंक और यूनियन बैंक के एक पूर्व अधिकारी के खिलाफ क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करने पर सीबीआई को कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि आरोपी ने 1.15 करोड़ रुपये प्रथम दृष्टया कानूनी नहीं बल्कि केवल अवैध धन को छिपाने का प्रयास था ऐसे में गहन जांच जरूरी है। कोर्ट ने सीबीआई को मामले में पुनः जांच के आदेश दिए है।
यह मामला इस आरोप पर दर्ज किया गया था कि यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया की पूर्व अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक और केनरा बैंक के कार्यकारी निदेशक अर्चना भार्गव ने अपने लिए और अपने पति और बेटे के स्वामित्व वाली कंपनी – रैंक मर्केंटाइल प्राइवेट लिमिटेड के लिए अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग किया। आरोपी ने उनकी कंपनियों को गलत तरीके से बैंकों से ऋण प्रदान किया गया। कोर्ट ने क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार करने से इनकार करते हुए कहा कि एजेंसी को “आरएमपीएल के बढ़ते कारोबार और बैंकों द्वारा दिए गए विभिन्न ऋणों के लाभार्थियों के बीच कोई संबंध नहीं मिला है, जिसमें अर्चना भार्गव ईडी (कार्यकारी निदेशक) या सीएमडी थीं। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि साक्ष्यों से स्पष्ट है कि 1.15 करोड़ रुपये का लेनदेन प्रथम दृष्टया कानूनी नहीं है बल्कि केवल अवैध धन को छिपाने का प्रयास था। अदालत ने कहा यह अजीब है कि सीबीआई जैसी जांच एजेंसी ने जांच के दौरान लेनदेन में किसी भी अवैधता पर ध्यान नहीं दिया जबकि गहन जांच के लिए पर्याप्त सामग्री है।

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