नई दिल्ली। बुधवार को तमिलनाडु के कुन्नूर में हेलीकॉप्टर हादसे में अब सिर्फ ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह ही एक मात्र ऐसे शख्स हैं
जो इस घटना जिंदा बच गए हैं और जो जिदंगी और मौत की जंग लड़ रहे हैं, फिलहाल उनका इलाज चल रहा है। इस समय उनकी कुछ बातें सोशल मीडिया में तेजी से वायरल हो रही है जो उन्होंने अपने स्कूल के प्रिंसिपल को पत्र में लिखी थीं।
दरअसल सितंबर महीने में ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह ने हरियाणा के चंडीमंदिर छावनी में आर्मी पब्लिक स्कूल के प्रिंसिपल को एक पत्र लिखा था जिसमें उन्होंने कहा- किसी भी छात्र का औसत दर्जे का होना ठीक है लेकिन यह किसी भी तरह से उसके सामर्थ और उसके जीवन में आने वाली चीजों का पैमाना नहीं हो सकता। इसके साथ ही उन्होंने छात्रों को भी लिखा कि आप जो भी काम करें उसमें अपना सर्वश्रेष्ठ दें और उम्मीद न हारें।
साहस के लिए दिया गया शौर्य चक्र
ग्रुप कैप्टन खुद एक औसत दर्जे के छात्र थे लेकिन वह अपनी खोज में तब तक लगे रहे और उत्कृष्ट प्रदर्शन किया जब तक उन्होंने अपनी मंजिल नहीं पा ली।।आज वह अस्पताल में अपने जीवन के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इससे पहले अगस्त महीने में अपने तेजस विमान में तकनीकी खराबी आने के बाद उन्होंने अपने आप को सुरक्षित बचा लिया था जिसके बाद उन्हें साहस के लिए शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया था।
उन्होंने अपने पत्र में लिखा कि वह इस पत्र को खुद की तारीफ या फिर अपनी पीठ थप-थपवाने की इच्छा के साथ नहीं लिख रहे बल्कि यह इसलिए है कि यह पत्र उन बच्चों के लिए मददगार साबित हो सकता है जो यह सोचते हैं कि प्रतिस्पर्धा की इस दुनिया में वह औसत दर्ज के छात्र है। उन्होंने लिखा कि मैं इतना औसत दर्जे का छात्र था कि 12वीं में मुश्किल से प्रथम श्रेणी के नंबर ला पाया था। इसके अलावा स्कूल-कॉलेज की दूसरी गतिविधियों में भी समान रूप से औसत था लेकिन मुझे हवाई जहाज और विमानन का बहुत ज्यादा शौक था।
उन्होंने अपने पत्र में लिखा कि जब मुझे राष्ट्रीय रक्षा अकादमी की तरफ से बुलाया आया तो मुझमें तभी भी विश्वास की कमी थी। उन्होंने कहा मैंने अपने बारे में हमेशा सोचा की मैं औसत हूं और इतनी कठिन दुनिया में उत्कृष्टता पाने के लिए कोशिश करने का भी कोई मतलब नहीं है।
बता दें कि ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह को कई चुनौती पूर्ण फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर्स कोर्स में बेहतरीन प्रदर्शन के लिए सम्मानित किया गया। उन्हें कठोर प्रायोगिक टेस्ट पायलट कोर्स के लिए भी चुना गया। उन्हें तेजस लड़ाकू विमान के स्क्वाड्रन में भी तैनात किया गया था। वरुण सिंह को इसरो के ऐतिहासिक कार्यक्रम गगन यान के लिए तैयार की गई 12 लोगों की सूची में पहले नंबर थे। वरुण सिंह ने अपने जीवन में कभी भी हार नहीं मानी और इस मुश्किल घड़ी में भी एक बार फिर उन्हें ऐसा साहस दिखाना होगा।
ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह ने प्रिंसिपल को लिखे चार पन्नों के पत्र में सबसे ज्यादा आत्मविश्वास पर जोर दिया. आज के युवा को शैक्षिक प्रणाली के साथ साथ दूसरे अलग अलग तरह के असाधारण दबाव का सामना करना पड़ता है तो वह हतोत्साहित होने लगता है. यह समस्या सबसे ज्यादा सामने आती है संकोची और शर्मीले स्वभाव के छात्रों और युवाओं के साथ. ग्रुप कैप्टन के यह शब्द लाखों बच्चों के लिए प्रेरणा के स्रोत बन सकते हैं.