नई दिल्‍ली (एजेंसी)। भारत छोटे निवेशकों की सुरक्षा करते हुए क्रिप्टोकरंसी को वित्तीय संपत्ति के रूप में मानने के प्रस्ताव पर विचार कर रहा है। क्रिप्‍टोकरंसी बिल को अंतिम रूप देने में लगे अधिकारियों के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार 29 नवंबर से शुरू होने वाले सत्र में संसद में यह बिल पेश करना चाहती है। बिल में कानूनन डिजिटल मुद्राओं में निवेश के लिए न्यूनतम रकम तय हो सकती है। जबकि Legal tender के रूप में उनके इस्‍तेमाल पर प्रतिबंध लग सकता है। हालांकि अभी कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है।

Bloomberg की रिपोर्ट के मुताबिक क्रिप्‍टोकरंसी बिल में निजी क्रिप्टोकर॔सी पर प्रतिबंध लगाने की बात है। इस बीच, आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने दावा किया है कि चिटफंड की तरह क्रिप्टोकरंसी का बुलबुला जल्दी ही फूट जाएगा। इनमें से अधिकांश का वजूद खत्म हो जाएगा। इस समय दुनिया में करीब 6,000 क्रिप्टोकरंसीज हैं और राजन का कहना है कि इनमें से केवल 1 या दो ही बाकी रह जाएंगी।

चिट फंड जैसी समस्‍या होगी

राजन ने एक टीवी इंटरव्यू में कहा कि अधिकांश क्रिप्टो का वजूद केवल इसलिए है कि कोई बेवकूफ उन्हें खरीदना चाहता है। उन्होंने कहा कि क्रिप्टोकरंसीज से देश में उसी तरह की समस्याएं होगी जैसी चिट फंड से हुई हैं। चिट फंड्स लोगों से पैसा लेते हैं और फिर गायब हो जाते हैं। क्रिप्टो एसेट्स रखने वाले कई लोगों को आने वाले दिनों में परेशानी होगी।

क्रिप्‍टो का कोई स्‍थाई मूल्‍य नहीं

राजन ने कहा कि अधिकांश क्रिप्टो का कोई स्थायी मूल्य नहीं है लेकिन पेमेंट्स खासकर क्रॉस-बॉर्डर पेमेंट्स के लिए कुछ क्रिप्टो का वजूद बना रह सकता है। ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी को बनाए रखने के बारे में राजन ने कहा कि केंद्र सरकार को देश में इसे आगे बढ़ाने की इजाजत देनी चाहिए। सरकार ने कहना है कि ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी की इजाजत दी जा सकती है।

सरकार Bitcoin जैसी प्राइवेट क्रिप्टोकरंसीज पर बैन लगाने के लिए संसद के शीतकालीन सत्र में एक बिल लाने की योजना बना रही है। इससे देश में अधिकारिक डिजिटल करेंसी का रास्ता भी साफ होगा। इसे आरबीआई जारी करेगा। आरबीआई ने प्राइवेट क्रिप्टोकरंसीज के खतरों से सरकार को आगाह किया है। गवर्नर शक्तिकांत दास ने क्रिप्टोकरंसीज को मेक्रोइकनॉमिक और वित्तीय स्थिरता के लिए खतरा बताया था।

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