चंडीगढ़। किसान आंदोलन के चलते शिरोमणि अकाली को भाजपा को छोड़ कर सत्तारुढ़ गठबंधन से बाहर होना पड़ा। हालांकि कृषि कानून निरस्त करने के पीएम मोदी के ऐलान के बाद एक बार फिर से अटकलों का दौर जारी है कि क्या शिअद एक बार फिर से आगामी चुनाव में भाजपा का दामन थामेगी? इन अटकलों पर भी शिअद के अध्यक्ष सुखबीर बादल स्पष्ट कर चुके हैं कि वे भाजपा के साथ नहीं जाएंगे। कृषि काननों के निरस्त करने के ऐलान के बाद टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए एक विस्तृत इंटरव्यू में सुखबीर बादल ने अपना दर्द बताते हुए कहा कि अगर बीजेपी ने हमारी बात सुनी होती तो उन्हें यह सब झेलने की जरूरत नहीं पड़ती और कई किसानों की जान बचाई जा सकती थी।

उन्होंने कहा कि जब इन कानूनों को पहली बार कैबिनेट में लाया गया था, तब हमने उन्हें इस बारे में चेतावनी दी थी, लेकिन दुर्भाग्य से मोदी सरकार ने सोचा कि वे अपना रास्ता आगे बढ़ा सकते हैं, और उन्होंने ऐसा किया। नतीजतन हमें बिना कुछ लिए ही संकट से गुजरना पड़ा. इसके लिए पूरी तरह केंद्र सरकार जिम्मेदार है। जब उनसे पूछा गया कि कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि में आप क्या बदलाव देखते हैं, तो उन्होंने कहा कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, पहले आप किसी चीज को नष्ट करते हैं और बाद में माफी मांगते हैं, छवि तुरंत नहीं बदलती।।

शिअद प्रधान ने कहा कि कृषि कानूनों को लेकर पहले दिन से ही हमारा रुख स्पष्ट था। हमने कहा था कि ये कानून अव्यावहारिक हैं। केंद्र सरकार ने हमें बार-बार आश्वासन दिया कि वे बदलाव करेंगे जो हम चाहते थे लेकिन ऐसा नहीं किया गया। जिस दिन संसद में विधेयक लाए गए उस दिन मैं भाजपा अध्यक्ष से मिला और अनुरोध किया कि इन्हें एक प्रवर समिति को भेजा जाए। उन्होंने मना कर दिया था और हम गठबंधन से बाहर चले गए। उन्होंने कहा कि तथ्य यह है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार कानून बनाने वाली समिति का हिस्सा थी और मनप्रीत सिंह बादल बैठकों में शामिल हुए थे। उन्होंने कभी शोर नहीं मचाया और लोगों को यह नहीं बताया कि ऐसे कानून बनाए जा रहे हैं। यह एक आपराधिक कृत्य है।सबसे बड़ी अपराधी कांग्रेस हैं क्योंकि उन्होंने इन कानूनों पर हस्ताक्षर किए हैं। इन कानूनों से हमारा कोई लेना-देना नहीं है। हमारी एक ही गलती है कि हम कैबिनेट में मौजूद रहे। सभी राजनीतिक दल अकाली दल को सबसे बड़ी चुनौती के रूप में देखते हैं और वे हर चीज के लिए बादल और अकाली दल पर ध्यान केंद्रित करते रहते हैं।

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