काबुल। ब्रिटिश मैगजीन ‘द स्पेकटेटर’ ने दावा किया है अफगानिस्तान में चल रहे खूनी संघर्ष में तालिबान के सुप्रीम लीडर हिबतुल्लाह अखुंदजादा मारा जा चुका है और उप प्रधानमंत्री मुल्ला बरादर को बंधक बनाकर रखा गया है। मैगजीन का कहना है कि हक्कानी धड़े के साथ चल रहे झगड़े में सबसे ज्यादा नुकसान बरादर को पहुंचा है। अभी तक तालिबान की ओर से इस पर किसी भी तरह की प्रतिक्रिया नहीं आई है।

ब्रिटेन की इस साप्ताहिक पत्रिका ‘The Spectator’ ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि इसी महीने सत्ता के बंटवारे को लेकर तालिबान के दोनों धड़ों की बैठक हुई थी। इस दौरान खफा हक्कानी नेता खलील-उल रहमान हक्कानी ने बरादर पर मुक्के बरसाए थे। दरअसल, बरादर लगातार तालिबान सरकार की कैबिनेट में गैर-तालिबानियों और अल्पलसंख्यकों को भी जगह देने का दबाव बना रहा था, ताकि दुनिया के अन्य देश तालिबान सरकार को मान्यता दें। इसी को लेकर दोनों में बहस हो गई थी।

इस झड़प के बाद मुल्ला बरादर को हाल ही में कंधार में देखा गया। रिपोर्ट में बताया गया है कि बरादर ने आदिवासी नेताओं से मुलाकात की है, जिनका समर्थन भी उसे मिला है। बरदार का जो वीडियो संदेश सामने आया है, उसे देखकर ऐसे संकेत मिलते हैं कि उसे बंधक बना लिया गया है।

हिबतुल्लाह अखुंदजादा को लेकर रिपोर्ट में कहा गया है कि अभी तक यह पता नहीं लग सका है कि वो कहां है. वह काफी समय से न तो दिखा है और न ही उसका कोई संदेश ही जारी किा गया है। ऐसे में यह कयास लगाए जा रहे हैं कि अखुंदजादा की मौत हो गई है। तालिबान में इससे पहले सत्ता को लेकर ऐसा संघर्ष देखने को नहीं मिला था। तालिबान और हक्कानी नेटवर्क 2016 में एक हो गए थे।

बरादर की कोशिश थी कि वह तालिबान की एक अलग छवि पेश करे, ताकि दुनिया उसे मान्यता दे। उधर, हक्कानी नेटवर्क आत्मघाती हमलों का पैरोकार बना हुआ है। अफगानिस्तान में शरणार्थियों के मंत्री खलील हक्कानी को संयुक्त राष्ट्र ने अपनी आतंकियों की सूची में शामिल किया है। एक पहलू यह भी है कि हक्कानी का सीधा कनेक्शन पाकिस्तान से है। पाकिस्तान भी तालिबान सरकार में हक्कानी का दबदबा चाहता है ताकि उसके लिए अपने मकसद को पूरा करना आसान रहे। संभव है कि पाकिस्तान के इशारों पर ही यह सबकुछ किया जा रहा हो।

गौरतलब है कि ‘The Spectator’ राजनीति, संस्कृति और समसामयिक मामलों से जुड़ी 193 साल पुरानी साप्ताहिक ब्रिटिश पत्रिका है। इसकी शुरुआत जुलाई 1828 में हुई थी। इसे दुनिया की सबसे पुरानी साप्ताहिक पत्रिका माना जाता है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here