बंदिशों और संगीनों के साये में भी जली शिक्षा की अलख

वाराणसी। सर्व विद्या की राजधानी काशी के जिला कारागार की कुछ महिलाओं ने ही यातना के बीच बच्चों के भविष्य को सजाने और संवारने का बीड़ा उठा लिया है। जी हां!बनारस की जेल में ऐसी भी महिला बंदी हैं जिनके बच्चों का भविष्य यातना के बीच संवार रहे हैं। उनकी शिक्षा दीक्षा की भी व्यवस्था की गई है। नन्हे-मुन्ने बच्चे अपने भविष्य को संवारने और बाहरी दुनिया से अलग होने के बाद भी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। यह शिक्षा जिला जेल में बंद उन बच्चों को दी जा रही है, जो अपराधी तो नहीं हैं, लेकिन अपनों के अपराध की सजा इन्हेंं भुगतनी पड़ रही है।

माँ की गलती के कारण बच्चों भी हैं सलाखों के पीछे

जिला जेल में अपने अपराधों के लिए बंद कई महिलाओं के बच्चों को भी उनके साथ रखा गया है। इन महिलाओं में इन बच्चों की मां और दादी हैं, जो संगीन वारदातों की वजह से जिला जेल में निरुद्ध हैं। इनके बच्चों की निगरानी और देख-रेख करने वाला बाहरी दुनिया में कोई नहीं है, इसलिए इन बच्चों को भी जिला जेल में इन महिलाओं के साथ रखा गया है। खास बात यह है कि जो बच्चे स्कूल जाना चाहते हैं, उन्हेंं स्कूल भेजा जाता है, लेकिन कोरोना के चलते स्कूल बंद हो गए तो ऐसे में जेल प्रबंधन ने जेल में ही क्लास की शुरुआत की।

इंग्लिश, हिंदी और मैथ्स की होती हैं क्लासेज़

महिला कैदियों ने ही बच्चों को पढ़ाना शुरू किया। बैरक में ही इन बच्चों को शिक्षित किया जा रहा है। जेल प्रबंधन कारागार में ही हर जरूरत का सामान मुहैया कराता है, ताकि बच्चों का भविष्य सवारा जा सके। जेलर पवन त्रिवेदी का कहना है कि जेल में ही अपराध की सजा काट रही महिलाओं को बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेदारी सौंपी जाती है। इन महिलाओं को इन बच्चों को वर्णमाला से लेकर अक्षरमाला, अंग्रेजी व गणित की शिक्षा देने के लिए लगाया जाता है।

6 वर्ष तक के बच्चों को है जेल में रखने का प्रावधान

जेलर का कहना है कि नियम के मुताबिक छह साल की उम्र तक बच्चों को जेल में रखने का प्राविधान है। इसके बाद पहली कक्षा में नामांकन के लिए जेल के बाहर स्कूल में दाखिला कराया जाता है। वर्तमान में 14 बच्चे जेल में हैं, इन्हेंं छह साल के बाद परिजनों को सौंप दिया जाएगा। अगर परिजन साथ नहीं ले जा रहे तो किसी सरकारी संस्था को सुपुर्द कर दिया जाता है। वर्तमान समय में जिला जेल में 14 बच्चे मौजूद हैं, जो अपनी मां या दादी के साथ यहां पर रहते हैं। दो बच्चे तो ऐसे हैं, जो जेल में ही पैदा हुए।

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