उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में एक ऐसा मामला सामने आया है, जहां एक शख्स को निर्दोष साबित होने में 14 साल लग गए। लेकिन उसने 14 साल की सजा जेल में ही काटनी पड़ी। बलिया जिले के रेवती के वार्ड 11 के सभासद रामप्रवेश तिवारी के पुत्र मुकेश तिवारी रहने वाले 14 वर्ष की सजा काटने के बाद निर्दोष साबित होने पर घर लौटे। उनके आने से परिवार वाले खुश हैं, लेकिन मुकेश को जीवन के बहुमूल्य 14 वर्ष बर्बाद होने का मलाल है।
मुकेश ने बताया कि 30 जुलाई 2007 को प्रताप शंकर मिश्र की हुई हत्या के मामले में परिजनों की तहरीर पर उन्हें आरोपी बनाया गया था। उस समय मैं अपने घर सोया हुआ था। लाख कहने के बाद भी लोगों ने मेरी बात नहीं मानी। तीन-चार दिन बाद मैं थाने में हाजिर हो गया। मुकदमा चला और इस मामले में 2009 में जिला जज ने सजा सुना दी।
इसके बाद घर वालों ने कोर्ट के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की, जहां सुनवाई चलती रही। इस दरम्यान निर्दोष होने की दलील दी गई, लेकिन सजा चलती रही और वह जेल में ही जीवन के दिन काटते रहे। आखिरकार सारे सुबूत और गवाह को देखने व सुनने के बाद हाईकोर्ट ने उन्हें रिहा करने का आदेश दिया।
हाईकोर्ट से निर्दोष साबित होने और रिहा किए जाने के बाद शनिवार रात को वह घर पहुंचे। उन्हें देखते ही पिता की आंखें खुशी से छलछला उठीं, वहीं मां राजवंती देवी और पत्नी लक्ष्मी के आंखों से खुशी के आंसू गिरने लगे। इस मामले में वार्ड नं. 3 के निवासी इंद्रजीत संजीत भी आरोपी बनाए गए थे।
मुकेश ने बताया कि उच्च न्यायालय पर मुझे विश्वास था कि वहां से मुझे न्याय अवश्य मिलेगा। मुझे न्याय मिला जिसके लिए मैं न्यायालय के प्रति धन्यवाद ज्ञापित करता हूं। हालांकि जीवन के 14 वर्ष के बहुमूल्य समय के बर्बाद होने का भी कम मलाल नहीं है, क्योंकि जिस समय हत्या के मामले में आरोपी बनाया गया, उस समय विशिष्ट बीटीसी चयन प्रक्रिया में काउंसलिंग होने वाली थी, जिसका पत्र भी बाद में आया था।