मोबाइल से बात करना और उसपर इंटरनेट इस्तेमाल करना जल्द और महंगा होने वाला है। दूरसंचार कंपनियां इस साल 1 अप्रैल से दरों में वृद्धि करने की तैयारी में हैं। साथ ही उसके आगे भी दरों में वृद्धि जारी रह सकती है। रेटिंग एजेंसी इक्रा की रिपोर्ट में यह बात सामने आई है।

कोरोना संकट और खासकर लॉकडाउन में जहां अन्य क्षेत्रों की मुश्किलें बढ़ीं। वहीं दूरसंचार कंपनियों के एवरेज रेवेन्यू पर यूजर (एआरपीयू) यानी प्रति ग्राहक औसत राजस्व में सुधार हुआ है। हालांकि, कंपनियों के बढ़ते खर्च को देखते हुए यह बहुत नहीं है। ऐसे में कंपनियां मोबाइल दरों कों बढ़ाकर उसकी भरपाई करने की तैयारी में हैं। इससे पहले, पिछले साल भी कुछ दूरसंचार कंपनियों ने दरों में इजाफा किया था।

उल्लेखनीय है कि कुल एजीआर का बकाया 1.69 लाख करोड़ रुपये है। वहीं, अभी तक सिर्फ 15 टेलीकॉम कंपनियों ने सिर्फ 30,254 करोड़ रुपये ही चुकाए हैं। एयरटेल पर करीब 25,976 करोड़ रुपये, वोडाफोन आइडिया पर 50399 करोड़ रुपये और टाटा टेलीसर्विसेज पर करीब 16,798 करोड़ रुपये का बकाया है। कंपनियों को 10 फीसदी राशि चालू वित्त वर्ष में और शेष बकाया राशि आगे के वर्षों में चुकानी है।
4जी से भी भर रही कंपनियों की झोली

इक्रा की रिपोर्ट के मुताबिक दरों में बढ़ोतरी और ग्राहकों का 2जी से 4जी में अपग्रेडेशन की वजह से भी प्रति ग्राहक औसत राजस्व में सुधार हो सकता है। मध्यम अवधि में यह करीब 220 रुपये हो सकता है, जिससे अगले दो साल में दूरसंचार उद्योग का का राजस्व 11 से 13 फीसदी तक बढ़ेगा। जबकि उसके बाद आपरेटिंग मार्जिन करीब 38 फीसदी बढ़ेगा।

एजीआर का बोझ ग्राहकों पर डालेंगी कंपनियां
रिपोर्ट के मुताबिक दूरसंचार कंपनियों के नकद प्रवाह में सुधार हुआ है। इसके अलावा पूंजीगत खर्चों में कमी से नियमित कामकाज के लिए बाहरी कर्ज की आवश्कयता कम भी होगी। हालांकि, एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआर) देनदारियों के साथ कर्ज और 5जी स्पेक्ट्रम नीलामी के चलते टेलिकॉम कंपनियों पर दबाव बढ़ेगा। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी स्थिति में कंपनियां इनका बोझ ग्राहकों पर डाल सकती हैं।

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