बीजिंग ।अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने पद की शपथ लेने के बाद पहली बार चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से फोन पर बातचीत की। इस बातचीत में उन्होंने चीन में हो रहे मानवाधिकार उल्लंघन समेत कई मुद्दों पर जमकर लताड़ लगाई। बाइडन ने पिछले महीने ही अमेरिकी राष्ट्रपति पद की शपथ ली है और इससे पहले उनकी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी फोन पर बातचीत हुई थी। चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग के साथ बातचीत में बाइडन ने चीन की अनुचित व्यापार प्रथाओं, हांगकांग में उसकी सख्त कार्रवाई, शिनजियांग में मानवाधिकारों का हनन और क्षेत्र में उसकी मुखरता के बारे में अपनी चिंताओं को व्यक्त किया। 

दोनों के बीच यह बातचीत चीन के महत्वपूर्ण लूनर न्यू ईयर की पूर्व संध्या पर हुई है। बाइडन ने फोन कॉल के बाद ट्वीट कर लिखा, ”मैंने उन्हें (जिनपिंग) बता दिया है कि मैं चीन के साथ तभी काम करूंगा, जब अमेरिकी लोगों को फायदा पहुंचेगा।” बातचीत के सिलसिले में व्हाइट हाउस ने भी एक बयान जारी किया है। उसने कहा, ”राष्ट्रपति ने बीजिंग की जबरदस्त और अनुचित आर्थिक प्रथाओं, हांगकांग में कार्रवाई, शिनजियांग में मानवाधिकारों के हनन, और ताइवान में चीन की स्थिति के बारे में अपनी बुनियादी चिंताओं को व्यक्त किया।”

अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा खूब सुनाए जाने के बाद चीन ने भी पलटवार किया है। चीन की आधिकारिक न्यूज एजेंसी शिन्हुआ ने एक बयान में कहा कि शी जिनपिंग ने बाइडन को बता दिया कि ये सभी मुद्दे चीन के आंतरिक मुद्दे हैं। जिनपिंग ने अपने समकक्ष बाइडन को बताया, ”ताइवान और हांगकांग से संबंधित मुद्दे चीन के आंतरिक मामले और चीन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के मुद्दे हैं। अमेरिकी पक्ष को चीन के प्रमुख हितों का सम्मान करना चाहिए।” जिनपिंग ने इस बात पर जोर दिया कि दोनों पक्षों की राय कुछ मुद्दों पर भिन्न हो सकती है, लेकिन आपसी सम्मान दिखाना, एक-दूसरे के साथ बराबरी का व्यवहार करना और रचनात्मक रूप से मतभेदों को ठीक से संभालना जरूरी है। 

बाइडन के साथ पहली बातचीत में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने आगे कहा कि जब चीन और अमेरिका एक साथ काम करते हैं, तो वे बड़े पैमाने पर दोनों देशों और दुनिया की भलाई के लिए बेहतर कर सकते हैं। वहीं, दोनों देशों के बीच टकराव निश्चित रूप दोनों पक्षों और दुनिया के लिए विनाशकारी होगा। उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों को दुनिया के ट्रेंड्स के हिसाब से काम करना चाहिए। संयुक्त रूप से इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में शांति और स्थिरता की रक्षा करनी चाहिए और विश्व शांति और विकास को बढ़ावा देने के लिए ऐतिहासिक योगदान देना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि चीन और अमेरिका को आपसी सहयोग से लाभ होगा, जबकि टकराव से नुकसान। सहयोग ही दोनों पक्षों के लिए एकमात्र विकल्प है।

कोरोना की रोकथाम पर भी हुई बातचीत

जो बाइडन और शी जिनपिंग के बीच कोरोना वायरस महामारी को लेकर भी चर्चा हुई। मालूम हो कि पिछले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में चीन और अमेरिका के रिश्तों के बिगड़ने के पीछे बड़ी वजह कोरोना वायरस भी थी। ट्रंप ने कई बार कोविड-19 की उत्पत्ति के पीछे चीन को बताया था। अब ताजा बातचीत में बाइडन और जिनपिंग ने कोविड-19 महामारी से मुकाबला करने के साथ ही वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन आदि का भी जिक्र किया। बातचीत के दौरान बाइडन ने चंद्र नव वर्ष के अवसर पर चीनी लोगों को अपनी शुभकामनाएं भी दीं। चीन लगभग 13 लाख वर्ग-मील क्षेत्र में फैले दक्षिण चीन सागर को अपना संप्रभु क्षेत्र बताता है और क्षेत्र में कृत्रिम द्वीपों पर सैन्य ठिकानों का निर्माण कर रहा है। इस क्षेत्र पर चीन ब्रुनेई, मलेशिया, फिलीपींस, ताइवान और वियतनाम का भी दावा है।

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