यांगून ( एजेंसी)।।म्यांमार में स्वास्थ्यकर्मियों ने देश में हुए सैन्य तख्तापलट के विरोध में सविनय अवज्ञा प्रदर्शन शुरू किया है। स्वास्थ्यकर्मियों ने सिर पर लाल रंग का रिबन बांधा हुआ है और उनका कहना है कि वे नयी सैन्य सरकार के लिए काम नहीं करेंगे। देश के सबसे बड़े शहर और आर्थिक राजधानी यांगून में रहने वाले चिकित्सक डॉ जुन ई फ्यू ने कहा, ”हम दुनिया को दिखाना चाहते हैं कि हम सैन्य तानाशाही के एकदम विरोध में हैं और हम अपनी निर्वाचित सरकार और नेताओं को वापस चाहते हैं। उन्हें दिखाना चाहते हैं कि हम केवल अपनी निर्वाचित सरकार की ही बात मानेंगे, सेना की नहीं।”

सरकारी अस्पतालों और प्रतिष्ठानों के स्वास्थ्यकर्मियों ने बुधवार को एक बयान जारी कर सैन्य तख्तापलट का विरोध किया था। सोशल मीडिया पर तस्वीरें सार्वजनिक हुई थीं जिनमें स्वास्थ्यकर्मियों के कपड़ों में लाल रंग का रिबन लगा हुआ था या फिर वे रिबन की तस्वीरें पकड़े हुए थे। इसमें बहुत से लोग तीन उंगलियों को मिला कर सलामी देने वाली मुद्रा में भी दिखाई दिए। यह मुद्रा पड़ोसी मुल्क थाईलैंड में लोकतंत्र की मांग वाले प्रदर्शनों का प्रतीक था।

कुछ स्वास्थ्यकर्मियों ने हड़ताल कर दी है और जो सरकारी क्लिनिकों में काम कर भी रहे हैं उन्होंने नए सैन्य शासकों के प्रति मुखरता से अपना विरोध प्रकट किया है। डॉ. फ्यू ने बताया कि हड़ताल करने वाले स्वास्थ्यकर्मी धर्मार्थ स्वास्थ्य केन्द्रों पर सेवाएं दे रहे हैं। इनमें से अधिकतर को कोरोना वायरस संक्रमण के मामले बढ़ने के कारण बंद कर दिया गया था।

सैन्य तख्तापलट के विरोध में नागरिक नाफरमानी शुरू
म्यांमार में सैन्य तख्तापलट के खिलाफ बड़े पैमाने पर नागरिक नाफरमानी शुरू हो गई है। यंगून और उसके आसपास के इलाकों में मंगलवार रात लोगों ने कारों के हॉर्न, ड्रम और बर्तन बजाकर सैन्य शासन का विरोध किया। उन्होंने लोकतंत्र समर्थक नेता आंग सान सू की की रिहाई की मांग को लेकर जमकर नारे भी लगाए। सोशल मीडिया पर भी लोग सू की की तस्वीर पोस्ट कर उन्हें आजाद करने की मांग कर रहे हैं।

म्यांमार के इतिहास में सैन्य तख्तापलट के विरोध में अब तक का सबसे बड़ा सार्वजनिक आंदोलन हो रहा है। लोकतंत्र समर्थक समूहों ने तख्तापलट के खिलाफ आक्रोश जताने के लिए लोगों से मंगलवार रात आठ बजे कुछ मिनट तक शोर मचाने की अपील की थी। इसके बाद बड़ी संख्या में सड़कों पर उतरे लोगों ने लगभग एक घंटे तक हॉर्न, ड्रम और बर्तन बजाए। उन्होंने सू की के बेहतर स्वास्थ्य की कामना करते हुए सैन्य शासन से आजादी के समर्थन में नारे लगाए। एक प्रदर्शनकारी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर बताया कि म्यांमार की संस्कृति में ड्रम बजाने का अर्थ शैतान को भगाना होता है।

इस बीच, सू की की नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी पार्टी ने लोगों से सविनय अवज्ञा के जरिये सैन्य शासन की अवहेलना करने की अपील की। पार्टी के शीर्ष नेता विन तीन कहा, ‘म्यांमार पर तख्तापलट रूपी अभिशाप लगा हुआ है। इसी के चलते हमारा देश गरीब बना हुआ है। मैं अपने साथी नागरिकों और उनके भविष्य को लेकर चिंतित हूं। 2020 के आम चुनाव में हमारा समर्थन करने वाले लोग सविनय अवज्ञा में हिस्सा लें।’ उधर, पार्टी प्रवक्ता की तोए ने बताया कि सेना ने सरकारी परिसर में नजरबंद रखे गए सैकड़ों सांसदों पर लगे प्रतिबंध हटाने शुरू कर दिए हैं। सैन्य शासन ने सांसदों से अपने घर जाने के लिए कहा है। हालांकि, सू की को कुछ और समय के लिए नजरबंदी में रखा जाएगा।

70 अस्पतालों ने काम रोका
म्यांमार में बुध‌वार को 70 अस्पतालों के कर्मचारियों ने नागरिक अवज्ञा आंदोलन में हिस्सा लेते हुए काम रोकने की घोषणा की। अंतरराष्ट्रीय चिकित्सा समुदाय को संबोधित पत्र में कर्मचारियों ने कहा, ‘कोविड-19 के खिलाफ जंग में म्यांमार पहले से ही संसाधनों की कमी और ढांचागत समस्याओं का सामना कर रहा था। अब म्यांमार की सेना ने बर्बर तरीके से तख्तापलट करते हुए अपना शासन स्थापित कर लिया है। उसने अपने हितों को महामारी के दौरान आर्थिक, सामाजिक और चिकित्सकीय मुश्किलों का सामना कर रही जनता से ऊपर रखते हुए यह कदम उठाया है।’ पत्र में स्वास्थ्यकर्मियों ने स्पष्ट किया है कि वे सैन्य शासन को मान्यता नहीं देते हैं। चिकित्सा सेवा के संबंध में उन्हें सिर्फ देश की निर्वाचित सरकार का आदेश स्वीकार्य होगा।

चुनावों में धांधली की जांच कराएगी सेना
म्यांमार में सोमवार के तख्तापलट के बाद बनी सैन्य सरकार पिछले साल के चुनावों में कथित धोखाधड़ी की जांच की योजना बना रही है। वह कोविड-19 महामारी से निपटने और अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के उपायों को भी प्राथमिकता देगी। म्यांमार के सरकारी अखबार ‘ग्लोबल न्यू लाइट ऑफ म्यामांर’ ने एक सैन्य नेता के हवाले से यह जानकारी दी। अखबार ने बताया कि वरिष्ठ जनरल मिन आंग हालिंग ने मंगलवार को राजधानी में अपनी नई सरकार की पहली बैठक में आगामी कदमों की घोषणा की। उन्होंने कहा कि आंग सान सू की की निर्वाचित नागरिक सरकार को हटाने का एक कारण यह था कि वह कथित व्यापक चुनावी अनियमितताओं के आरोपों की ठीक से जांच करने में विफल रही। सेना एक साल के लिए आपातकाल की स्थिति के तहत सत्ता चलाएगी और फिर चुनाव आयोजित करेगी, जिसमें जीतने वाले सरकार बनाएंगे।

भारत-जापान के संपर्क में अमेरिका
अमेरिका ने म्यांमार में निर्वाचित शासन प्रमुख को हटाने की सेना की कार्रवाई को सैन्य तख्तापलट करार दिया है। साथ ही कहा कि वह इस घटनाक्रम को लेकर भारत-जापान जैसे क्षेत्रीय सहयोगियों के संपर्क में है, क्योंकि इन दोनों देशों के म्यांमार की सेना से अच्छे संबंध हैं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा, सभी तथ्यों की समीक्षा के बाद हमारा आकलन है कि म्यांमार में निर्वाचित शासन प्रमुख को हटाने की सैन्य कार्रवाई तख्तापलट के समान है। अमेरिका म्यांमार में कानून के शासन और लोकतंत्र के सम्मान का समर्थन करता रहेगा। वह लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकार को पलटने के जिम्मेदार लोगों की जवाबदेही तय करने के लिए दुनियाभर में अपने साझेदारों के साथ काम करना जारी रखेगा।

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