इस्लामाबाद (एजेंसी)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भाई कहने वालीं बलूचिस्तान की एक्टिविस्ट करीमा बलोच को पाकिस्तान में रविवार को सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया। लेकिन इससे पहले जिस तरह उनके शव की तौहीन की गई उससे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान खुद अपने देश की संसद में घिर गए और उनसे यहां तक पूछा गया कि क्या वह करीमा बलोच के शव से भी डर गए? करीब पांच साल से कनाडा में रह रहीं करीमा मेहराब पिछले महीने मृत मिली थीं।
रविवार को करीमा का शव पाकिस्तान लाया गया। कराची एयरपोर्ट से उनके शव को सुरक्षाकर्मियों ने बलूचिस्तान पहुंचाया गया। पाकिस्तान के प्रमुख अखबार के ऑनलाइन संस्करण डॉन डॉट कॉम में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, करीमा को तुरबत इलाके में बेहद सख्त सुरक्षा इंतजामों के बीच सुपुर्द-ए-खाक किया गया। उधर, कराची में हजारों लोगों ने सड़कों पर उतरकर करीमा की हत्या की निंदा की और कहा कि उनकी विचारधारा को खत्म नहीं किया जा सकता है।
सोमवार को संसद में बलूचिस्तान नेशनल पार्टी-मेंगल (बीएनपी-एम) के सांसद डॉ. जहानजेब जमालदिनी ने कहा कि करीम के शव को एयरपोर्ट से अगवा कर लिया गया और उनके पैतृक गांव तक किसी को जाने की अनुमति नहीं दी गई। उन्होंने कहा कि हर कोई करीमा को विदाई देने जाना चाहता था लेकिन मकरान में कर्फ्यू लगा दिया गया और मोबाइल नेटवर्क को बंद कर दिया गया, लेकिन मीडिया में इसे नहीं दिखाया गया। सासंद ने कहा, ”सिक्यॉरिटी एजेंसियां एक कब्र के शव से डरी हुई हैं।”
जमालदिनी ने कहा कि पूरे बलूचिस्तान में करीमा के लिए नमाज अदा की जा रही थी। उन्होंने कहा कि मृतक की मां को कथित रूप से अंतिम दर्शन करने की अनुमति नहीं थी और लोगों को कब्रिस्तान में उनके ताबूत के साथ जाने की अनुमति नहीं थी। उन्होंने पूछा, ”क्या यह न्याय है? क्या यह मानवाधिकार हैं? करिमा लड़ने या माकरान को जीतने नहीं आई हैं।” सांसद रुखसाना जुबेरी ने जमालदिनी से सहमति जताई। उन्होंने कहा, ”करीमा बलोच को लेकर उन्होंने जो कुछ भी कहा है वह सच है। हम उनसे सहमति जताते हैं।”
पाकिस्तान के बलूचिस्तान में मानवाधिकारों के हनन को लेकर खुलकर बोलने वाली और बलोच स्टूडेंट ऑर्गनाइजेशन की अध्यक्ष करीमा बलोच का शव संदिग्ध हालत में कनाडा के टोरंटो में हार्बरफ्रंट पर पाया गया था। ऐसी आशंका जताई जा रही है कि करीमा की हत्या की गई है। करीमा बलोच कनाडा में साल 2016 से एक शरणार्थी के तौर पर रह रही थीं।
‘द गार्जियन’ की खबर के मुताबिक, करीमा के पति ने बताया कि उनकी पत्नी को काफी धमकियां मिल रही थी। वह पाकिस्तान छोड़कर इसलिए भागी क्योंकि उनके घर पर कई बार छापेमारी की गई। उनके रिश्तेदार की हत्या कर दी गई और उन्हें लगातार राजनीतिक गतिविधियों से दूर रहने की धमकियां मिलीं। लेकिन उन्होंने ऐसा न कर के साल 2016 में कनाडा में शरण ले ली।
बलूचिस्तान में पाकिस्तान के अत्याचारों के खिलाफ मोर्चा खोलने वाली करीमा बलोच ने साल 2016 में पीएम नरेंद्र मोदी को रक्षाबंधन के मौके पर राखी भेजी थी। करीमा ने बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सेना द्वारा अगवा किए जा रहे नागरिकों को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी से मदद मांगी थी और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर यह मुद्दा उठाने को कहा था।