दीपावली का त्योहार पांच दिनों तक चलने वाला महापर्व है। धन तेरस से शुरू होकर यह त्योहार नरक चतुर्दशी, मुख्य पर्व दीपावली, गोवर्धन पूजा से होते हुए भाई दूज पर समाप्त होता है। इन पांच दिनों में अलग-अलग कथानुसार देवी देवताओं का पूजन कर परंपरा का निर्वाह किया जाता है।
जानिए धनतेरस, नरक चतुदर्शी, दिवाली, गोवर्द्धन पूजा एवं भाई दूज का महत्व और सही मुहू्र्त
धन त्रयोदशी (धनतेरस)
पांच दिवसीय दीपावली पर्व का आरंभ धन त्रयोदशी से होता है। धनतेरस के दिन भगवान धनवंतरी का जन्म हुआ था। समुद्र मंथन के समय इसी दिन धनवंतरी सभी रोगों के लिए औषधि कलश में लेकर प्रकट हुए थे। अतः इस दिन भगवान धनवंतरी का पूजन श्रद्धापूर्वक करना चाहिए जिससे दीर्घ जीवन एवं आरोग्य की प्राप्ति होती है।
धनतेरस के दिन अपनी शक्ति अनुसार बर्तन क्रय करके घर लाना चाहिए एवं उसका पूजन करके प्रथम उपयोग भगवान के लिए करने से धन-धान्य की कमी वर्ष पर्यन्त नहीं रहती। इस दिन सायंकाल घर के मुख्य द्वार पर यमराज के निमित्त एक अन्न से भरे पात्र में दक्षिण मुख करके दीपक रखने एवं उसका पूजन व प्रज्जवलन कर यमराज से प्रार्थना करने पर असामयिक मृत्यु से बचा जा सकता है।
मुहूर्त
- धनतेरस की तिथि: 25 अक्टूबर 2019
- धनतेरस पूजा मुहूर्त: 25 अक्टूबर को शाम 07 बजकर 08 मिनट से रात 08 बजकर 13 मिनट तक
नरक चतुर्दशी
धनतेरस के अगले दिन नरक चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है। पौराणिक कथा है कि इसी दिन कृष्ण ने दैत्य नरकासुर का संहार किया था और सोलह हजार एक सौ कन्याओं को नरकासुर के बंदी गृह से मुक्त किया था। इस दिन को छोटी दीपावली के रूप में भी मनाते हैं।
इस दिन सूर्योदय से पूर्व शरीर पर तेल लगाकर स्नान करना चाहिए। ऐसा माना जाता है, कि इस दिन सूर्योदय के पश्चात स्नान करने वाले मनुष्य के वर्षभर के शुभ कार्य नष्ट हो जाते हैं। एवं इस दिन स्नान के पश्चात दक्षिण मुख करके यमराज से प्रार्थना करने पर व्यक्ति के वर्ष भर के पाप नष्ट हो जाते हैं। इस दिन सायंकाल देवताओं का पूजन करके घर, बाहर, सड़क आदि प्रत्येक स्थान पर दीपक जलाकर रखना चाहिए।
मुहूर्त
इस बार छोटी दिवाली या नरक चतुदर्शी को लेकर थोड़ा सा कन्फ्यूजन हो गया है इस बार चतुदर्शी तिथि 26 अक्टूबर को तीन बजकर 46 मिनट से लग रही है, जो कि 27 अक्टूबर 12 बजकर 23 मिनट तक रहेगी इसलिए छोटी दिवाली और बड़ी दिवाली दोनों ही 27 अक्टूबर को है।
दीपावली
पांच दिवसीय इस पर्व का प्रमुख दिन लक्ष्मी पूजन अथवा दीपावली होता है। इस दिन रात्रि को जागरण करके धन की देवी लक्ष्मी माता का पूजन विधिपूर्वक करना चाहिए एवं घर के प्रत्येक स्थान को स्वच्छ करके वहां दीपक लगाना चाहिए जिससे घर में लक्ष्मी का वास एवं दरिद्रता का नाश होता है। मान्यता है कि दिवाली के दिन दीपों की रोशनी में मां लक्ष्मी घर में आती हैं।
इस दिन देवी लक्ष्मी, भगवान गणेश तथा द्रव्य, आभूषण आदि का पूजन करके 13 अथवा 26 दीपकों के मध्य एक तेल का दीपक रखकर उसकी चारों बातियों को प्रज्जवलित करना चाहिए एवं दीपमालिका का पूजन करके उन दीपों को घर में प्रत्येक स्थान पर रखें एवं चार बातियों वाला दीपक रातभर जलता रहे ऐसा प्रयास करें।
ये भी मान्यता है कि प्रभु श्री राम की अयोध्या वापसी पर लोगों ने उनका स्वागत घी के दिये जलाकर किया। अमावस्या की काली रात को रोशन हो गई। इसलिये दिवाली को प्रकाशोत्सव भी कहा जाता है।
मुहूर्त
लक्ष्मी पूजा मुहुर्त: 27 अक्टूबर 2019 को रात 12 बजकर 23 मिनट तक
कुल अवधि: 01 घंटे 30 मिनट
गोवर्धन पूजा
कहा जाता है भगवान श्री कृष्ण ने ब्रजवासियों को मूसलधार वर्षा से बचने के लिए सात दिन तक गोवर्धन पर्वत को अपनी सबसे छोटी उंगली पर उठाकर रखा था जिसके नीचे सभी नंदगांव के लोगों ने आश्रय लिया था। इस पौराणिक घटना के बाद से ही गोवर्धन पूजा की जाने लगी।
कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा एवं अन्नकूट उत्सव मनाया जाता है। इस दिन प्रातः जल्दी उठकर घर के द्वार पर गोबर से गोवर्धन बनाकर उसे पेड़ की शाखों एवं फूलों से सजाकर उसका एवं गायों का पूजन करना चाहिए। इस दिन मंदिरों में भगवान को छप्पन प्रकार का भोग लगाकर उसे प्रसाद रूप में वितरित करना चाहिए।
मुहूर्त
गोवर्द्धन पूजा / अन्नकूट की तिथि: 28 अक्टूबर 2019
गोवर्द्धन पूजा मुहूर्त: 28 अक्टूबर 2019 को दोपहर 03 बजकर 23 मिनट से शाम 05 बजकर 36 मिनट तक
यम द्वितीया या भाईदूज
कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को भाईदूज या यम द्वितीया का पर्व मनाया जाता है। इस दिन यमराज की पूजा की जाती है। भाईदूज के दिन बहनों को अपने भाइयों को आसन पर बैठाकर तिलक लगाकर आरती उतारनी चाहिए एवं उसे विभिन्न प्रकार के व्यंजन अपने हाथ से बनाकर खिलाना चाहिए।
भाई को अपनी शक्ति अनुसार बहन को वस्त्र, स्वर्ण आदि देकर आशीर्वाद लेना चाहिए। इस दिन भाई का अपनी बहन के घर भोजन करने से उसे धन, यश, आयुष्य, धर्म, अर्थ एवं सुख की प्राप्ति होती है।
मुहूर्त
भैयादूज की तिथि : 29 अक्टूबर 2019
पूजा मुहूर्त: : दोपहर 01 बजकर 11 मिनट से दोपहर 03 बजकर 23 मिनट तक