कृषि कानूनों के खिलाफ बीते 25 दिनों से आंदोलन कर रहे किसानों को मनाने के लिए सरकार हर कोशिश कर रही है। इस बीच हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा है कि अगर कोई न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को खत्म करने की कोशिश करता है तो वह राजनीति छोड़ देंगे। हरियाणा के नारनौल में एक सार्वजनिक सभा में बोलते हुए, उन्होंने किसानों को आश्वस्त किया कि एमएसपी हमेशा रहेगा।
खट्टर ने सभा को संबोधित करते हुए कहा, ‘अगर कोई इसे खत्म करने की कोशिश करता है, तो राजनीति छोड़ दूंगा। एमएसपी खत्म नहीं होगी। एमएसपी अतीत में था, यह अब भी मौजूद है और भविष्य में भी यह बना रहेगा।’
खट्टर का यह बयान केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के साथ शनिवार को मुलाकात के बाद आया जिसमें उन्होंने किसानों के मुद्दे पर चर्चा की। खट्टर ने कहा कि इस मुद्दे का हल चर्चा के माध्यम से निकाला जाना चाहिए। हरियाणा के सीएम ने बैठक के बाद समाचार एजेंसी एएनआई से कहा कि केंद्र नए कृषि कानूनों से जुड़े मुद्दों पर किसानों से बात करने के लिए तैयार है।
हालांकि, खट्टर ने कहा कि केंद्र और किसानों की यूनियनों के बीच बातचीत का एक और दौर हो सकता है। तोमर ने विरोध करने वाले किसान यूनियनों से आग्रह किया कि वे तीन कृषि कानूनों के बारे में अपनी आशंकाओं को अधिक विस्तार से बताएं। उन्होंने कहा कि इसके लिए विशिष्ट मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने और उनकी शिकायतों पर वर्तमान में स्पष्टता का अभाव है। मंत्री ने किसानों से वार्ता के लिए एक तिथि निर्दिष्ट करने का भी आग्रह किया।
चंद लोग राजनीतिक कारणों से कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैः खट्टर
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने रविवार को केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों का बचाव करते हुए कहा कि चंद लोग राजनीतिक कारणों से इन अधिनियमों का विरोध कर रहे हैं। खट्टर ने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में हर किसी को अपने विचार रखने का अधिकार है लेकिन सड़क बंद कर दबाव बनाने के लिए कोई जगह नहीं है।
दक्षिण हरियाणा के नारनौल में जल अधिकार रैली को संबोधित करते हुए खट्टर ने कहा कि केंद्र सरकार 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लिए प्रतिबद्ध है। इस रैली में भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने शिरकत की। मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों की आय कई चरणों में दोगुनी की जाएगी जिनमें से एक कृषि सुधार हैं। उन्होंने कहा, “चंद लोग राजनीतिक कारणों से इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं जिन्हें मैं किसानों का प्रतिनिधि नहीं कहूंगा।”
खट्टर ने कहा कि विरोध के कई तरीके हैं। यह विधानसभा में किया जा सकता है, मीडिया के जरिए किया जा सकता है, लोगों के बीच जाकर किया जा सकता है और बड़ी या छोटी जनसभाओं के जरिए किया जा सकता है, लेकिन “50-70 हजार लोग इकट्ठा हो जाएं और सड़कें बंद करके दबाव बनाएं… लोकतंत्र ऐसी चीजों के लिए नहीं है।”
उन्होंने कहा, “अगर सरकार इसके आगे झुक जाती है तो देश गलत दिशा में जाएगा। बड़ी मुश्किलों से हमने इस लोकतंत्र को स्थापित किया है।”
पंजाब और हरियाणा समेत देश के विभिन्न राज्यों से आए किसान दिल्ली की सीमाओं पर पिछले चार हफ्तों से कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। वे इन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। इन कानूनों के बारे में सत्तारूढ़ दल का दावा है कि ये किसानों के फायदे के लिए हैं।