नेपाल ने चीन को झटका देते हुए देश की राजनीति से दूर रहने की सलाह दी है। नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने पिछले हफ्ते चीनी राजदूत होउ यान्की से कहा कि वह अन्य देशों से बिना किसी सहायता के अपनी पार्टी के भीतर चुनौतियों को संभालने में सक्षम हैं।
नाम न जाहिर करने की शर्त पर अधिकारियों ने बताया कि ओली की टिप्पणी,उनकी नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) में होने वाली घटनाओं के कारण हो सकती है। पूर्व प्रधानमंत्री पुष्पा कमल दहल ‘प्रचंड’ के नेतृत्व में पार्टी का एक गुट ओली के विरोध में है। एचटी की खबर के अनुसार, ओली ने अपने समर्थकों से कहा था कि वह पार्टी में विभाजन के लिए तैयार हैं। चीन इसको टालने के लिए काम कर रहा है। चीन को अतीत में एनसीपी में एक शांतिदूत की भूमिका निभाते देखा गया है।
चीन को लेकर प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के रुख में बदलाव ऐसे समय में आया है जब वह नई दिल्ली के साथ संबंधों को सुधारने के लिए ठोस प्रयास कर रहे हैं और कालापानी, लिंपियाधुरा और लिपुलेख पर दोनों देशों के मतभेदों पर चर्चा शुरू करने के लिए मिल रहे हैं। भारत में नेपाल के एक राजदूत ने कहा कि पीएम ओली के दृष्टिकोण में बदलाव को राष्ट्रवादी एजेंडे को पुनः प्राप्त करने का प्रयास माना जा सकता है जो 2018 में उनकी जीत से पहले उनके अभियान का मुख्य आधार था।
दिलचस्प बात यह है कि चीनी रक्षा मंत्री जनरल वेई फ़ेंगहे सप्ताहांत में नेपाल का दौरा कर रहे हैं और उम्मीद है कि वह एनसीपी के मामलों से जुड़ी कुछ बातचीत कर सकते हैं। काठमांडू के एक राजनयिक ने कहा, “जनरल वेई सेना के मुख्यालय में चार घंटे बिताएंगे।”