अनिता चौधरी

कोर्ट के सवाल से असहज हुए मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन, जवाब के बजाय लगाया आरोप कहा सभी सवाल हमसें क्यों?

अयोध्या श्री राम जन्मभूमि मामले के 38 वें दिन सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने पांच जजों की पीठ पर उठाए सवाल। मामले की सुनवाई के दौरान राजीव धवन ने कहा कि सभी सवाल केवल मुस्लिम पक्ष से ही पीठ क्यों पूछ रही है हिन्दू पक्ष से क्यों नही?

दअरसल मामले की सुनवाई के दौरान राजीव धवन ने कहा ASI की रिपोर्ट में किसी मंदिर के ध्वस्त करने की बात नही कही गई है, हमने अपना टाइटल नहीं गंवाया है। धवन ने कहा कि ताला खुलने के बाद भी हिंदुओं का वहां पर कब्ज़ा नही रहा है, हिंदुओं के पास सिर्फ पूजा का अधिकार रहा है।

जिसपर जस्टिस बोबड़े ने पूछा आप यह कह रहे है कि हिन्दू अंदर जाते थे और पूजा अर्चना करते रहे है, लेकिन सवाल उठता है कि इससे आपके अधिकार को असर नही पड़ेगा? दअरसल कोर्ट के कहने का मतलब था कि आपकी संपत्ति में कोई जाता है तो आपके मालिकाना हक को लेकर फ़र्क नही पड़ेगा?

इसी बीच जस्टिस डी वाई चन्द्रचूड़ ने राजीव धवन से हिंदुओं के बाहरी अहाते पर कब्ज़े के बारे में पूछा, जस्टिस डी वाई चन्द्रचूड़ ने कहा कि 1858 के बाद के दस्तावेजों से पता चलता है कि राम चाबूतरा की स्थापना की गई थी, उनके पास अधिकार था।

जस्टिस डी वाई चन्द्रचूड़ ने कहा अंग्रेजों ने रेलिंग इस लिए लगाई क्योंकि एक हिस्से में हिन्दू पूजा करते थे दूसरे हिस्से में मुस्लिम?

इसपर राजीव धवन ने पीठ से कहा कि वैसे सारे सवाल मुस्लिम पक्षकारों से ही पूछे जा रहे हैं, हिंदू पक्ष से सवाल पूछे ही नहीं गए। लेकिन कोई बात नहीं मैं पीठ के सभी सवालों के यथा सम्भव जवाब दूंगा।

इस पर रामलला ने वकील सी एस वैधनाथन ने कहा कि राजीव धवन का ये सवाल अवांछनीय है। हालांकि पीठ ने इस पर कुछ नही कहा और मामले की सुनवाई आगे बढ़ी। कोर्ट के सवाल से असहज हुए मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन, जवाब के बजाय लगाया आरोप कहा सभी सवाल हमसें क्यों?

अयोध्या श्री राम जन्मभूमि मामले के 38 वें दिन सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने पांच जजों की पीठ पर उठाए सवाल। मामले की सुनवाई के दौरान राजीव धवन ने कहा कि सभी सवाल केवल मुस्लिम पक्ष से ही पीठ क्यों पूछ रही है हिन्दू पक्ष से क्यों नही?

दअरसल मामले की सुनवाई के दौरान राजीव धवन ने कहा ASI की रिपोर्ट में किसी मंदिर के ध्वस्त करने की बात नही कही गई है, हमने अपना टाइटल नहीं गंवाया है। धवन ने कहा कि ताला खुलने के बाद भी हिंदुओं का वहां पर कब्ज़ा नही रह है, हिंदुओं के पास सिर्फ पूजा का अधिकार रहा है।

जिसपर जस्टिस बोबड़े ने पूछा आप ये कह रहे है कि हिन्दू अंदर जाते थे और पूजा अर्चना करते रहे है, लेकिन सवाल ये उठता है कि इससे आपके अधिकार को असर नही पड़ेगा? दअरसल कोर्ट के कहने का मतलब था कि आपकी सम्पति में कोई जाता है तो आपको मालिकाना हक को लेकर फ़र्क नही पड़ेगा?

इसी बीच जस्टिस डी वाई चन्द्रचूड़ ने राजीव धवन से
हिंदुओं के बाहरी अहाते पर कब्ज़े के बारे में पूछा, जस्टिस डी वाई चन्द्रचूड़ ने कहा कि 1858 के बाद के दस्तावेजों से पता चलता है कि राम चबूतरा की स्थापना की गई थी, उनके पास अधिकार था।

जस्टिस डी वाई चन्द्रचूड़ ने कहा अंग्रेजों ने रेलिंग इस लिए लगाई क्योंकि एक हिस्से में हिन्दू पूजा करते थे दूसरे हिस्से में मुस्लिम?

इसपर राजीव धवन ने पीठ से कहा कि वैसे सारे सवाल मुस्लिम पक्षकारों से ही पूछे जा रहे हैं, हिंदू पक्ष से सवाल पूछे ही नहीं गए। लेकिन कोई बात नहीं मैं पीठ के सभी सवालों के यथासम्भव जवाब दूंगा।

इस पर रामलला ने वकील सी एस वैधनाथन ने कहा कि राजीव धवन का ये सवाल अवांछनीय है। हालांकि पीठ ने इस पर कुछ नही कहा और मामले की सुनवाई आगे बढ़ी।

यूपी सरकार से फारुकी को सुरक्षा देने का निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष जफर अहमद फारूकी को सुरक्षा देने का निर्देश दिया है। फारूकी ने पांच सदस्यीय बेंच के सामने अपनी जान का खतरा जाहिर किया था।

अयोध्या राम जन्मभूमि विवाद के जिस मुकदमे पर देश भर की निगाहें लगी हैं उसकी सुनवाई अब समाप्ति की ओर बढ़ चली है। 6 अगस्त को ये सुनवाई शुरू हुई थी जो अभी तक जारी है। दशहरा की छुट्टी के बाद 14 अक्टुबर को कोर्ट फिर बैठी। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई में पांच जजों की संवैधानिक पीठ इसको सुन रही है। मुस्लिम पक्ष फिलहाल अपनी दलीलें रख रहे हैं । 17 अक्टूबर को सुनवाई पूरी हो जाएगी । बीच के दो दिन कोर्ट ने हिन्दू पक्ष को अपनी बात रखने के लिए दिया है। सुरक्षा और शांति के मद्देनजर अयोध्या में 10 दिसंबर तक धारा 144 लागू कर दी गयी है।

गुरुवार तक सुनवाई पूरी करके सुप्रीम कोर्ट फैसला सुरक्षित रख लेगा। फैसला भी नवंबर के मध्य तक आ जाएगा क्योंकि 17 नवंबर को सुनवाई करने वाली पीठ की अगुवाई कर रहे मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई सेवानिवृत हो जाएंगे। इस सबसे इतना साफ है कि दिवाली के पहले सुनवाई पूरी हो जाएगी और दिवाली के बाद फैसला आ जाएगा।

बता दें कि राम मंदिर-बाबरी मस्ज़िद विवाद को लेकर इलाहाबाद हाइकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 14 अपीलें दाखिल हैं ।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 30 सितंबर 2010 को इस मामले में फैसला सुनाते हुए विवादित जमीन को तीन बराबर हिस्सों में बांटने का आदेश दिया था। एक हिस्सा रामलला विराजमान को दूसरा निर्मोही अखाड़ा और तीसरा हिस्सा मुस्लिम पक्ष को दिया था। रामलला विराजमान को वही हिस्सा दिया गया था जहां वे अभी विराजमान हैं। इस फैसले को सभी पक्षों ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल कर चुनौती दी है। दोनों ओर से क्रास अपीलें दाखिल हुईं हैं। कुल 14 अपीलें हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अपीलें विचारार्थ स्वीकार करते हुए मामले में यथास्थिति कायम रखने का आदेश दिया था जो कि अभी भी लागू है । एक लंबे अरसे से पूरे देश को इस फ़ैसले का इंतज़ार है और दीवाली के बाद 17 नवंबर के पहले देशवासियों के ये इंतज़ार खत्म होता नजर आ रहा है।

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