नई दिल्ली। भारत के कूटनीतिक हलकों में अमेरिका की हर बदलती स्थिति पर नजदीकी नजर रखी जा रही है। जानकारों का कहना है कि अब तक जो संकेत मिल रहे हैं, उससे लगता है नतीजे आसानी से घोषित होने नहीं जा रहे हैं। फिलहाल भारत की भूमिका चुनाव में तटस्थ दृष्टा की है। जानकारों का कहना है कि अमेरिका में राष्ट्रपति पद पर कोई भी आए, भारत की भूमिका की अनदेखी नहीं की जा सकती। भारत की भूमिका पर भी नतीजों से कोई खास असर नहीं पड़ेगा। सामरिक व आर्थिक संतुलन के लिए अमेरिका को भारत की जरूरत है।

पूर्व राजदूत जी पार्थसारथी ने कहा कि भारत पर नतीजों से बहुत फर्क नहीं पड़ेगा। भारत की स्थिति नतीजों से बहुत नहीं बदलने वाली। अमेरिका के अंदर जरूर नतीजों का असर नजर आएगा। जानकारों के मुताबिक ट्रम्प की तुलना में बाइडेन को ज्यादा स्थायित्व भरी नीति पर चलने वाले व्यक्ति के तौर पर देखा जा रहा है। चीन सहित अन्य अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर उनकी राय ज्यादा स्थायी हो सकती है। ट्रंप का रुख भांपना किसी के लिए आसान नहीं होता।

कूटनीतिक जानकारों का कहना है कि विभिन्न वैश्विक मुद्दों पर भारत का सहयोग अमेरिका के लिए महत्वपूर्ण है। चीन के मुद्दे पर भी भारत का रुख अमेरिका के लिए ज्यादा सहयोगात्मक और सकारात्मक होने की उम्मीद है।

फिलहाल जानकार मानते हैं कि मतगणना में देरी और कई तरह के तकनीकी पेच के चलते राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों में देरी भी हो सकती है। कूटनीतिक मामलों के जानकार सुशांत सरीन का कहना है कि मुकाबला काफी तगड़ा है। जिस तरह की टक्कर है, उससे नतीजे किसी भी तरफ जा सकते हैं। बाइडेन और ट्रंप में जितना गैप बताया जा रहा था, वह नजर नहीं आ रहा है।

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