बीजिग । लद्दाख में जहां पिछले कई महीनों से भारत के साथ आमने-सामने की स्थिति में है तो वहीं, ताइवान के साथ भी विस्तारवादी ड्रैगन का विवाद काफी पुराना है। अब चीन ने ताइवान को लेकर भारत को गीदड़भभकी दी है। चीन ने भारत में चल रहीं उन मीडिया रिपोर्ट्स पर नाराजगी जताई है, जिनमें कहा गया था कि भारत-ताइवान के बीच व्यापार समझौतों को लेकर बातचीत की शुरुआत हो सकती है। बीजिंग ने कहा है कि भारत को वन-चाइना पॉलिसी के साथ प्रतिबद्ध रहना चाहिए और विवेकपूर्ण तरीके के साथ ताइवान को डील करना चाहिए।
इसके अलावा, चीनी विदेश मंत्रालय ने हाल ही में तिब्बत मामलों के लिए नियुक्त किए गए अमेरिकी अधिकारी की तिब्बत सरकार के साथ बैठक को भी आड़े हाथों लिया है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने प्रेस ब्रीफिंग के दौरान कहा, ”दुनिया में वन-चाइना पॉलिसी है और ताइवान चीन का नायाब हिस्सा है। भारत समेत अंतरराष्ट्रीय समुदाय में वन-चाइना पॉलिसी को लेकर सर्व-सहमति है।” झाओ ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट पर जवाब दे रहे थे, जिसमें कहा गया था कि भारत आने वाले समय में ताइवान के साथ ट्रेड पर बातचीत शुरू कर सकता है।
झाओ ने कहा, ”यह (वन-चाइना पॉलिसी) चीन का अन्य देशों के साथ संबंध विकसित करने का राजनीतिक आधार भी है। इसलिए, हम चीन और ताइवान के साथ राजनयिक संबंध रखने वाले देशों के बीच किसी भी आधिकारिक आदान-प्रदान या किसी भी आधिकारिक दस्तावेजों पर हस्ताक्षर का पूरी दृढ़ता से विरोध करते हैं।” उन्होंने कहा, ”भारतीय पक्ष को वन-चाइना प्रिंसिपल के लिए प्रतिबद्ध रहना चाहिए और ताइवान से संबंधित मुद्दों पर विवेकपूर्ण और ठीक से विचार करना चाहिए।”
पिछले कुछ समय से चीन और ताइवान के बीच में कई मुद्दों पर तनाव बढ़ गया है। हाल ही में ताइवान ने नेशनल डे भी मनाया है, जिसको लेकर चीनी दूतावास ने भारतीय मीडिया कवरेज के लिए दिशा-निर्देश भी जारी किए थे। चीन ने कहा था कि ताइवान के नेशनल डे का कवरेज करते समय भारतीय मीडिया वन-चाइना पॉलिसी का ध्यान रखे और ताइवान को देश न बताए। चीन ने आगे कहा था कि सभी देशों को बीजिंग के साथ राजनयिक संबंध रखने चाहिए वन-चाइना पॉलिसी के लिए अपनी प्रतिबद्धता का दृढ़ता से सम्मान करना चाहिए। बीजिंग का समय-समय पर ताइवान और भारत सहित विदेशी देशों के बीच विकसित हो रहे संबंधों को लेकर आक्रामक प्रतिक्रिया भी व्यक्त करता रहा है।
फरवरी 2017 में, चीन ने भारत के साथ ताइवान के संसदीय प्रतिनिधिमंडल की यात्रा को लेकर शिकायत दर्ज की थी, जिसमें नई दिल्ली को वन-चाइना पॉलिसी का पालन करने की नसीहत दी गई थी और ताइपे के साथ कोई आधिकारिक संपर्क नहीं रखने के लिए कहा गया था। वहीं, सितंबर 2015 में, ताइवान की पहली महिला राष्ट्रपति बनने से पहले, त्साई ने ताइवान की विदेश नीति में भारत के बढ़ते महत्व के बारे में बात की थी।