विशेष संवाददाता अनिता चौधरी की तमिल बच्ची से खास बातचीत
प्रधानमंत्री मोदी यूनाइटेड नेशन में जब जलवायु परिवर्तन और आतंकवाद पर बोले तो एक सवाल हर किसी के दिमाग में कौंध रहा था कि आखिर पर्यावरण को बचाने के लिए अन्तराष्ट्रीय भाईचारे का ज़िक्र करते हुए प्रशनमंत्री मोदी ने विश्व की प्राचीनतम भाषा तमिल के कवि कैनियन पुनगुन्द्रनार की लाइन “यड्डम उरे, यवराम केलिर” का इस्तेमाल क्यों किया ? इसका अर्थ है, “पूरी सृष्टि मेरी है और इसमें रहने वाले लोग भी” ।
अब सवाल यह उठता है कि आखिर प्रधानमंत्री मोदी के लिए हजारों साल पहले तमिलनाडु के कवि को समझने के लिए ,उनसे प्रभावित होने की प्ररेणा किससे मिली थी । तो आइए आपको मिलवाते हैं यूएन में पीएम के भाषण से ठीक दो दिन पहले आखिर वो कौन थी जिसने क्लाइमेट चेंज पर अपनी बात रखी थी और अपनी स्पीच की शुरुआत तमिल कवि कैनियन पुनगुन्द्रनार की उसी लाइन से की थी । पर्यावरण सुरक्षा पर इस छोटी बच्ची के भाषण से विदेश राज्यमंत्री वी. मुरलीधरन भी काफी प्रभावित हुए थे और प्रधानमंत्री मोदी ने भी उस बच्ची के भाषण के वीडियो क्लिप देखी , नाम है “जननी”।
अपने पाठकों को हम रु-ब-रु कराने जा रहे हैं उसी “जननी” से जो हमारे देश के प्रधानमंत्री के लिए प्रेरणा बनी । “जननी” रहती तो अमेरिका में है मगर है भारतीय मूल की। जननी जलवायु परिवर्तन की वजह से प्रकृति में लगातार हो रही हानि से “माँ धरती” को बचाने के लिए लगातार प्रयासरत हैं । जननी की उम्र वैसे तो मात्र 13 साल की है मगर पर्यावरण की सुरक्षा के लिए वो संकल्पबद्ध है । “क्लाइमेट चेंज एंड क्राइसिस” से कैसे पर्यावरण को बचाया जाए इसके लिए वो लगातार प्रयासरत है ।
इसके प्रयासों को तब और चार चांद लग गया जब भारतीय मूल की जननी को पर्यवरण सुरक्षा पर यूनाइटेड नेशन में बोलने का मौका मिला । यूएन में करीब 200 बच्चों ने भाग लिया था जिसके फाइनल राउंड में सिर्फ तीन बच्चों का चयन हुआ और बोलने का मौका मिला उन तीनो में एक जननी को। इस चयन के साथ ही विदेशी ज़मीन पर भारत का सिर एक बार फिर गर्व से ऊंचा हो गया । हमसे बात करते हुए जननी ने बताया कि “जलवायु संकट ” आने वाले दिनों में एक ऐसी जटिल समस्या बनने जा रहा है जिसकी वजह से पूरे विश्व में त्राहिमाम मच सकता है और जब तक पूरा विश्व एकजुट होकर इस समस्या पर विश्व गंभीर चिंतन नही करेगा तब तक समाधान मुमकिन नहीं है ।
जननी अपने आस,-पास के लोगों , स्कूल में बच्चों को लगातार इसके लिए जागरूक करती है । साथ ही अपनी वेबसाइट पर भी छोटे छोटे टिप्स देती रहती है। जननी का कहना है कि अपनी रोजमर्रा ज़िन्दगी में क्लाइमेट फ्रेंडली बदलाव और दिनचर्या में छोटी-छोटी बातों का भी ध्यान रखें तो ये पर्यावरण सुरक्षा में काफी मददगार साबित हो सकते हैं । जननी का मानना है कि आस पास के माहौल को बदलने के लिए खुद को बदलना बेहद जरूरी है इसलिए वो हर बात का ध्यान रखती हैं जिससे पर्यावरण को बचाया जा सके । विवेकानंद से प्रभावित जननी का मानना है कि “तब तक नहीं रुकना चाहिए जब तक कि मंज़िल को पा न लें” । संकल्परत जननी को पिता तुल्य प्रकृति और मां धरती के बचाव के लिए निरंतर आगे बढ़ते रहने के लिए हमारी “नेशन-टुडे डाटकाम” वेबसाइट की हार्दिक शुभकामनाएं।